बस्तर के वन विद्रोह के बारे में लिखें।
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बस्तर में आदिवासियों ने ब्रिटिश शासन के विरूद्ध 1859 में साल के वृक्षों को बचाने के लिये व्रिदोह किया था जिसे कोई विद्रोह के नाम से जाना जाता है।
बस्तर में आदिवासी जनजीवन पूर्णतः वनो एवं उससे मिलने वाले वनोपज पर ही आधारित है। वन और आदिवासियों का अटूट गठबंधन हजारो साल पुराना है। वनों के लिये आदिवासी जान दे भी सकते है और जान ले भी सकते है। रियासत कालीन बस्तर में राजा भैरमदेव का शासन था। उस समय अंग्रेजी हुकुमत बस्तर की वन संपदा पर गिद्ध की नजरे गड़ाये हुई थी।बस्तर को साल वनों का द्वीप कहा जाता है। साल वनों को काटने के लिये ब्रिटिश शासन ने हैदराबाद की निजाम की कंपनी को ठेका दे दिया।
साल वनों की कटाई के विरोध में वर्तमान बीजापुर जिले के फोतकेल के जमींदार नागुल दोर्ला ने आसपास के भोपालपटनम भीजी आदि के जमींदारों को एकत्रित किया एवं ब्रिटिश शासन के विरूद्ध विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। विद्रोही एक वृक्ष के पीछे एक सर का नारा देकर वृक्षों की कटाई करने वाले ठेकेदारों का सर कलम करने लग गये। ग्लसफर्ड स्वयं सेना लेकर इन विद्रोहियों के दमन के लिये बस्तर पहुंचा। परन्तु यहां स्थिति को समझकर एवं विद्रोहियों को भारी पड़ता देख ब्रिटिश हुकुमत ने हैदराबाद के कंपनी के सारे ठेके निरस्त कर दिये।
यह विद्रोह बस्तर का पहला पर्यावरण आंदोलन था। बीजापुर जिले में नागुल दोर्ला ने इसे नेतृत्व दिया। दोरला आदिवासियों ने इस विद्रोह में बढ चढ़ कर हिस्सा लिया। दोरलाओं का अन्य नाम कोई भी है जिसके कारण 1859 का यह विद्रोह कोई विद्रोह के नाम से जाना जाता है। लेख ओम सोनी।कापी पेस्ट ना करे।
बस्तर के वन विद्रोह
Explanation:
बस्तर छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित है और आंध्र प्रदेश, ओरिसा और महाराष्ट्र के साथ एक आम सीमा है। जब औपनिवेशिक सरकार ने वन अधिनियम लाया, तो बस्तर के नागरिक चिंतित हो गए।
एक विनाशकारी सूखा 1899 में और फिर 1907 में हुआ। संभवतः बस्तर का विद्रोह कई कारकों के संयोजन के कारण हुआ।
इनमें स्वयं की भूमि पुनर्वास भूमि स्वामित्व और मुक्त श्रम और वस्तुओं के लिए प्रतिस्पर्धा शामिल थी। विद्रोह के पीछे मुख्य कारण ब्रिटिश सरकार की मानसिकता थी जिसने स्थानीय लोगों को वश में करने और उनकी संपत्ति लेने के द्वारा उनके जीवन के तरीके को नष्ट करने की कोशिश की।
बाज़ारों में तोड़फोड़ की गई, अधिकारियों के घरों, पुलिस स्टेशनों और स्कूलों को नष्ट कर दिया गया। औपनिवेशिक सरकार और उसके नियम उन सभी नागरिकों का पर्याय हैं जिन्हें विद्रोहियों ने हराया था।
अंत में, अंग्रेजों ने मजबूत हथियारों का उपयोग करके विद्रोह को कम कर दिया। स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए ब्रिटिश सरकार को तीन महीने का समय लगा।
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बस्तर और जावा के औपनिवेशिक वन प्रबंधन में क्या समानताएँ हैं?
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