Social Sciences, asked by salfara4035, 9 months ago

बस्तर और जावा के औपनिवेशिक वन प्रबन्धन में क्या समानताएँ हैं ?

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Answered by SamikBiswa1911
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Answer:

बस्तर और जावा के औपनिवेशिक वन प्रबंधन में निम्न लिखित समानताएँ हैं :  

(क) बस्तर में अंग्रेज शासकों ने वनों पर अपना नियंत्रण स्थापित किया जावा में डचों ने।

(ख) दोनों स्थानों पर स्थानीय लोगों को नए वन नियमों के अंतर्गत लकड़ी काटने तथा वन्य उत्पाद इकट्ठे करने से रोक दिया गया।

(ग) दोनों ही प्रदेशों में स्थानांतरी कृषि पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

(घ) इन दोनों क्षेत्रों में औपनिवेशिक शासकों ने वनों का प्रयोग अपने हित साधने के लिए किया। इन वनों की लकड़ी का उपयोग मुख्य रूप से जलयान बनाने तथा रेलवे के विस्तार के लिए किया गया।

(ड़) दोनों प्रदेशों में स्थानीय समुदायों की रोज़ी का साधन छिन जाने से लोगों में असंतोष फैल गया और उन्होंने शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।

(च) बस्तर में विद्रोह का आरंभ कांगेर वनों के धुरवा समुदाय के लोगों द्वारा हुआ। धीरे-धीरे इसमें अन्य समुदाय भी शामिल हो गए। इस विद्रोह का मुख्य नेता नेथानार गांव का गुडा धूर था । उन्होंने बाजारों को लूटा, व्यापारियों तथा अंग्रेज अधिकारियों के घरों  को जला डाला और सब कुछ लूट लिया। लूटे गए अनाज को लोगों में बांट दिया गया। सरकार ने विद्रोह को दबाने के लिए पुलिस दल भेजा । विद्रोह पर तो 3 महीने पर काबू पा लिया गया, परंतु गुंडा धूर को न पकड़ा जा सका।

जावा में विद्रोह का नेतृत्व रांदुब्लातुंग गांव के सुरोंतिको सामिन नामक व्यक्ति ने किया । इस कार्य में उसके दामाद ने उसकी सहायता की । 1907 तक लगभग 3000 परिवार ‌इस आंदोलन में शामिल हो गए थे । जब डच अधिकारी वनों का निरीक्षण करने आते थे तो सामिन विद्रोही अपनी भूमि पर लेट कर अपना विरोध प्रकट करते थे । कुछ सामिनों ने कर तथा जुर्माने देने से इंकार कर दिया और डचों के लिए काम करना बंद कर दिया।

आशा है कि उत्तर आपकी मदद करेगा।।।

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न  

औपनिवेशिक काल के वन प्रबंधन में आए परिवर्तनों ने इन समूहों को कैसे प्रभावित किया :

• झूम खेती करने वालों को  

• घुमंतू और चरवाहा समुदायों को

• लकड़ी और वन-उत्पादों का व्यापार करने वाली कंपनियों को

• बागान मालिकों को

• शिकार खेलने वाले राजाओं और अंग्रेज़ अफ़सरों को

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सन् 1880 से 1920 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के वनाच्छादित क्षेत्र में 97 लाख हेक्टेयर की गिरावट आयी। पहले के 10.86 करोड़ हेक्टेयर से घटकर यह क्षेत्र 9.89 करोड़ हेक्टेयर रह गया था। इस गिरावट में निम्नलिखित कारकों की भूमिका बताएँ :  

रेलवे

जहाज़ निर्माण

कृषि विस्तार  

व्यावसायिक खेती

चाय-कॉफ़ी के बागान

आदिवासी और किसान  

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