Hindi, asked by ttttttvvvvvv, 1 year ago

बस द्वारा यात्रा अनुच्छेद

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Answered by jaswithabode
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hi friend!!!
आम तौर पर यह कहा जाता है कि बस द्वारा एक यात्रा इतनी रोमांचकारी नहीं है क्योंकि ट्रेन या एयरो विमान द्वारा एक है। हालांकि, मैंने पिछले रविवार को बस द्वारा यात्रा की यात्रा का काफी सुखद अनुभव किया था।

रविवार से पहले सप्ताह बहुत गर्म था। मेरे माता-पिता ने शिमला में एक सप्ताह बिताने का फैसला किया। हमने शिमला जाने के लिए चंडीगढ़ से बस में प्रवेश किया। हम जल्दी सुबह बस स्टैंड पर पहुंचे। मेरे पिता को टिकट खरीदने के लिए कुछ मिनटों के लिए एक कतार में खड़ा होना पड़ा। इस बीच, हमने कतार के पास एक बेंच पर बैठकर समय मारा।

शिमला के लिए बस बांधने पर मुश्किल से पिता ने बुकिंग खिड़की पर टिकट खरीदे थे। हम तुरंत इसे बोर्ड किया। मैं अपने दिल में खुशी का रोमांच महसूस कर रहा था। मैं खिड़की के पास एक सीट पाने में भाग्यशाली था। मैंने लगातार जिज्ञासा के साथ देखा। सबसे पहले इलाके सादा था और बस में भी काफी गर्म था।
कभी-कभी, बस एक पहाड़ी इलाके में चली गई और ऊपर की ओर बढ़ रही थी। यह कई अंधेरे सुरंगों से गुज़र गया। हालांकि, मुझे डर नहीं था क्योंकि मेरे पिताजी और माँ भी मेरे साथ थे। इसके अलावा, मैंने खुद को साहसी और साहसी होने के लिए काफी बड़ा पाया।

मैंने हरी पहाड़ियों, हरे-भरे जंगलों को देखा जो अंधेरे और गहरे और छोटे रिव्यूलेट और स्प्रिंग्स थे। पाइन के पेड़ बहुत आकर्षक लग रहे थे। हवा में नृत्य रंगीन फूल मेरे दिल को दूर ले जाने लगते थे।

दरअसल, यह एक उल्लसित यात्रा थी। जैसे ही हम शिमला पहुंचे, हमने महसूस किया कि हमें कुछ ऊनी वस्त्र पहनने के लिए मजबूर करने के लिए काफी ठंडा था। यह शिमला की पहली यात्रा थी जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता। न ही मैं बस बस द्वारा मीठी यात्रा भूल सकता हूं।
hope my answer helps you
keep smiling
follow me

jaswithabode: hi
jaswithabode: you know me??
jaswithabode: then how you said how r u??
Answered by Dev01010
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बस-यात्रा पर अनुच्छेद | Paragraph on Bus Journey in Hindi

प्रस्तावना:

एक दिन बड़ा सुहावना मौसम था । मैंने सोचा कि उस दिन शाम को कनाट प्लेस की सैर की जाये । कई दिनों से भयंकर गरमी पड़ रही थी लेकिन उस दिन मौसम अच्छा था ।

कई दिनों से भयंकर गरमी के कारण मैं बाहर नहीं निकला था । मैंने अपनी माँ से कुछ रुपये लिये और मैं लगभग 6 बजे शाम घर से निकल पड़ा । मुझे लाल किले के बस स्टॉप से ओडियन के लिए बस पकड़नी थी ।

बस स्टॉप का दृश्य:

लाल किले का बस स्टाप मेरे घर के नजदीक ही है । मैं कुछ मिनटों में ही वहां पहुंच गया । बसों में बड़ी भीड़ थी । दफ्तर बन्द होने का समय था । मेरे बस स्टॉप पर लम्बी लाईन लगी हुई थी । मैं भी उसी लाइन में सबसे पीछे खडा हो गया ।

थोड़ी देर में मेरे पीछे भी बहुत-से लोग खड़े हो गये । थोड़ी देर में कई बसें निकलीं । कुछ बसें तो रुकती ही नहीं थी और कुछ बसें दो-एक यात्रियों को उतारकर और उतने ही लोग चढा कर फौरन चल देती । लाइन बड़ी धीरे-धीरे खिसक रही थी । आधा घंटा से अधिक प्रतीक्षा के बाद एक बस आई, जो एकदम खाली थी ।

यह बस लाल किला से बनकर ही चलती थी । अब तेजी से लाइन आगे बढ़ने लगी । अभी मुश्किल से 10-15 व्यक्ति ही बस में चढ़ पाये थे कि लोगों का धैर्य टूटने लगा । उन्होंने लाइन तोड़ दी और बस पर धावा बोल दिया । खूब धक्कम-पक्का और कहा-सुनी होने लगी । कंडक्टर ने कई बार भीड़ को शान्त करना चाहा, लेकिन किसी ने उसकी कोई बात नहीं सुनी ।

बस के अन्दर की घटना:

मैं बड़ी उत्कंठा से अपना नम्बर आने की प्रतीक्षा कर रहा था, लेकिन लाइन के टूट जाने पर मुझे भी आगे बढ़ना पड़ा । किसी तरह धक्का-मुक्की करके मैं भी बस में चढ़ गया । अन्दर आकर मुझे बैठने को एक सीट मिल गई और मैंने राहत की साँस ली ।

इतने में मेरी नजर एक बहुत वृद्ध पुरुष पर पड़ी, जो मेरी सीट के पास खड़े थे । मैंने उनकी ओर देखा । वे बड़े बेबस से खड़े दीख रहे थे । मुझसे न रहा गया और मैंने उनके प्रति आदर दिखाते हुए उनसे अपनी सीट पर बैठने का अनुरोध किया और मैं उठ खड़ा हुआ ।

इसी समय मैने देखा कि भीड़ के बीच से फैशनेबल युवती बड़ी तेजी मेरी सीट की ओर लपकी और मुझे तथा उन वृद्ध सज्जन को कोहनी मारती हुई मेरी सीट पर बैठ गई । वृद्ध सज्जन उस महिला का मुँह निहारते रह गए । महिला को किसी प्रकार की शर्म महसूस नहीं हुई । मुझे बड़ा गुस्सा आया, लेकिन मैं कुछ बोल न सका ।

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