Social Sciences, asked by anusharma74575, 1 month ago

बसने की प्रक्रिया का आरंभ कब से माना जाता है​

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Answered by Anonymous
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Answer:

पाषाण युग के आखिरी चरण को नवपाषाण युग कहते हैं। इस चरण की शुरुआत लगभग 10,000 वर्ष पहले हुई थी। इसी चरण में आदमी ने खेती करना शुरु किया था।नवपाषाण युग के औजार: नवपाषाण युग के औजार बहुत छोटे आकार के और अत्यंत सुगढ़ होते थे। पत्थर को बेहतर ढ़ंग से तराशा जाने लगा और कुछ औजारों में हैंडल भी लगाये जाने लगे, जैसे भाला, कुल्हाड़ी, हँसिया, तीर, आदि।

Explanation:

खेती की शुरुआत : खेती की शुरुआत को मानव इतिहास की सबसे क्रांतिकारी घटना माना जाता है, क्योंकि इसी के साथ बसने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई। खेती के कारण ही आदमी खानाबदोश जीवन को छोड़कर स्थायी जीवन जीने लगा।

इतिहासकारों का मानना है कि खेती की खोज सबसे पहले महिलाओं ने की होगी। ऐसा इसलिए संभव हुआ होगा क्योंकि महिलाओं को गर्भावस्था और फिर बच्चे के पालन पोषण के दौरान एक स्थान पर ही टिककर रहना पड़ा होगा। किसी एक स्थान पर लंबे समय तक रहने के दौरान महिलाओं और बच्चों ने बीज से पौधे को पनपते देखा होगा। यही देख कर उन्होने पौधे उगाना सीखा होगा।

खेती के लाभ: खेती से भोजन की आपूर्ति बेहतर हो गई होगी। साथ ही, शिकार और भोजन संग्रह पर से निर्भरता कम हुई होगी।

हम जानते हैं कि किसी भी पौधे को फल और बीज देने में महीनों लग जाते हैं। इसलिए फसल की देखभाल करने के लिए लोगों को एक ही स्थान पर टिकने की जरूरत हुई होगी। इसीसे बसने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई होगी।

जब जरूरत से अधिक भोजन मिलने लगा तो लोगों को इतना खाली समय मिलने लगा होगा कि अपने बौद्धिक विकास पर ध्यान दें। इससे वैज्ञानिक, कला और भाषा की क्षमता का विकास हुआ होगा।

बसने की प्रक्रिया के साथ साथ समुदायों का आकार बढ़ने लगा। धीरे-धीरे समुदाय इतने बड़े हुए कि गांवों का विकास हुआ। यहाँ यह बताना जरूरी है कि गांव उस जगह को कहते हैं जहाँ लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि होता है।

नई खोजों से पता चला है कि नियोलिथिक संस्कृति का आरम्भ एलेप्पो से 25 किमी उत्तर की तरफ उत्तरी सीरिया में टेल कैरामेल में 10,700 से 9,400 ई.पू. के आसपास हुआ था।[3] पुरातात्विक समुदाय के भीतर उन निष्कर्षों को अपनाए जाने तक नियोलिथिक संस्कृति का आरम्भ लेवंत (जेरिको, वर्तमानकालीन वेस्ट बैंक) में लगभग 9,500 ई.पू. के आसपास माना जाता है। क्षेत्र में इसका विकास सीधे एपिपेलियोलिथिक नैचुफियन संस्कृति से हुआ था जिसके लोगों ने जंगली अनाजों के इस्तेमाल का मार्ग प्रशस्त किया जो बाद में सही मायने में कृषि के रूप में विकसित हुआ। इस प्रकार नैचुफियन को "प्रोटो-नियोलिथिक" (12,500–9500 ई.पू. या 12,000–9500 ई.पू.[1]) कहा जा सकता है। चूंकि नैचुफियन अपने आहार में जंगली अनाजों पर निर्भर हो गए थे और उनके बीच एक तरह की सुस्त जीवन शैली का आरम्भ हो गया था इसलिए यंगर ड्रायस से जुड़े जलवायु परिवर्तनों ने संभवतः लोगों को खेती का विकास करने पर मजबूर कर दिया होगा। 9500-9000 ई.पू. तक लेवंत में कृषक समुदाय का जन्म हुआ और वे एशिया माइनर, उत्तर अफ्रीका और उत्तर मेसोपोटामिया में फ़ैल गए। आरंभिक नियोलिथिक खेती केवल कुछ पौधों तक ही सीमित थी जिनमें जंगली और घरेलू दोनों तरह के पौधे शामिल थे जिनमें एंकोर्न गेहूं, बाजरा और स्पेल्ट (जर्मन गेहूं) और कुत्ता, भेड़ और बकरीपालन शामिल था। लगभग 8000 ई.पू. तक इसमें पालतू मवेशी और सूअर शामिल हुए और स्थायी रूप से या मौसम के अनुसार बस्तियां बसाई गई और बर्तन का इस्तेमाल शुरू हुआ।

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