Hindi, asked by harpreet7794, 2 months ago

बत ही हरपै नहीं. नैनन नहीं सनेह।
लसी तहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेह।।1।।
*explain in English*​

Answers

Answered by mishra2tiktoklover
2

Answer:

तुलसी दास जी कहते हैं कि जिस स्थान पर लोग आपके जाने से प्रसन्न न होवें और जहाँ लोगो कि आँखों में आपके लिए प्रेम अथवा स्नेह ना हो ऐसे स्थान पर भले ही धन की कितनी भी वर्षा ही क्यूँ ना हो रही हो आपको वहां नहीं जाना चाहिए ।

आपने अपने प्रश्न में थोड़ा spell mistake कर रखी है पर हमें यह दोहा आता था कृपया इसे brainliest mark कर दीजिए

नमस्कार

Answered by anud93673
0

आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह। ... अर्थ: तुलसी दास जी कहते हैं कि जिस स्थान पर लोग आपके जाने से प्रसन्न न होवें और जहाँ लोगो कि आँखों में आपके लिए प्रेम अथवा स्नेह ना हो ऐसे स्थान पर भले ही धन की कितनी भी वर्षा ही क्यूँ ना हो रही हो आपको वहां नहीं जाना चाहिए ।

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