बताइए।
चौपाई तथा सोरठा छन्द की परिभाषा
कीजिए-
हमिन धागा प्रेम का, मत तोरेउ चटकाय
टे से फिर न जुरै, जुरै गाँठ परि जाय।
मा अथवा श्लेष अलंकार की परिभाष
लिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंक
ए।
बन्द की चंचल किरणें, खेल रही हैं
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा
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idk friend sorry
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...
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