बताइए कि ब्रिटेन के औद्योगीकरण के स्वरूप पर कच्चे माल की आपूर्ति का क्या प्रभाव पड़ा?
Answers
उत्तर :
ब्रिटेन के औद्योगीकरण के स्वरूप पर कच्चे माल की आपूर्ति का निम्न प्रभाव पड़ा :
आरंभ में ब्रिटेन के लोग ऊन और लिनन बनाने के लिए सन से ही कपड़ा बुना करते थे। 17 वी शताब्दी से इंग्लैंड भारत से बहुत ज्यादा मात्रा में सूती कपड़े का आयात करने लगा । परंतु जब भारत के अधिकतर भागों पर ईस्ट इंडिया कंपनी का वर्चस्व हो गया, तब इंग्लैंड ने कपड़े के साथ-साथ कच्चे माल के रूप में कपास का आयात करना भी आरंभ कर दिया। इंग्लैंड पहुंचने पर कपास (रूई) की कताई की जाती थी और फिर उस रूई से कपड़ा बुना जाता था।
18वीं सदी के आरंभ में कताई का काम बहुत ही धीमा था । इसलिए रूई कातने वाले दिन भर रूई की कताई के काम में लगे रहते थे, जबकि बुनकर बुनाई के लिए धागे के इंतजार में समय नष्ट करते रहते थे। परंतु प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनेक आविष्कार हो जाने के बाद कपास से धागा कातने और उससे कपड़ा बनाने की गति एकाएक बढ़ गई । इस काम में और अधिक कुशलता और निपुणता लाने के लिए उत्पादन का काम घरों से हटकर फैक्ट्रियों अर्थात कारखानों में चला गया।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
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Explanation:
एक है प्राचीन अथवा विगत काल की घटनाएँ और दूसरा उन घटनाओं के विषय में धारणा। इतिहास शब्द (इति + ह + आस ; अस् धातु, लिट् लकार अन्य पुरुष तथा एक वचन) का तात्पर्य है "यह निश्चय था"। ग्रीस के लोग इतिहास के लिए "हिस्तरी" (history) शब्द का प्रयोग करते थे। "हिस्तरी" का शाब्दिक अर्थ "बुनना" था। अनुमान होता है कि ज्ञात घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से बुनकर ऐसा चित्र उपस्थित करने की कोशिश की जाती थी जो सार्थक और सुसंबद्ध हो।
इस प्रकार इतिहास शब्द का अर्थ है - परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह (जैसे कि लोक कथाएँ), वीरगाथा (जैसे कि महाभारत) या ऐतिहासिक साक्ष्य।[1] इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है।[2] दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है।[3] या फिर प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओं का वर्णन इतिहास है।[4] इन घटनाओं व ऐतिहासिक साक्ष्यों को तथ्य के आधार पर प्रमाणित किया जाता है।
इतिहास का आधार एवं स्रोत
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मुख्य लेख: इतिहास लेखन
इतिहास के मुख्य आधार युगविशेष और घटनास्थल के वे अवशेष हैं जो किसी न किसी रूप में प्राप्त होते हैं। जीवन की बहुमुखी व्यापकता के कारण स्वल्प सामग्री के सहारे विगत युग अथवा समाज का चित्रनिर्माण करना दु:साध्य है। सामग्री जितनी ही अधिक होती जाती है उसी अनुपात से बीते युग तथा समाज की रूपरेखा प्रस्तुत करना साध्य होता जाता है। पर्याप्त साधनों के होते हुए भी यह नहीं कहा जा सकता कि कल्पनामिश्रित चित्र निश्चित रूप से शुद्ध या सत्य ही होगा। इसलिए उपयुक्त कमी का ध्यान रखकर कुछ विद्वान् कहते हैं कि इतिहास की संपूर्णता असाध्य सी है, फिर भी यदि हमारा अनुभव और ज्ञान प्रचुर हो, ऐतिहासिक सामग्री की जाँच-पड़ताल को हमारी कला तर्कप्रतिष्ठत हो तथा कल्पना संयत और विकसित हो तो अतीत का हमारा चित्र अधिक मानवीय और प्रामाणिक हो सकता है। सारांश यह है कि इतिहास की रचना में पर्याप्त सामग्री, वैज्ञानिक ढंग से उसकी जाँच, उससे प्राप्त ज्ञान का महत्व समझने के विवेक के साथ ही साथ ऐतिहासक कल्पना की शक्ति तथा सजीव चित्रण की क्षमता की आवश्यकता है। स्मरण रखना चाहिए कि इतिहास न तो साधारण परिभाषा के अनुसार विज्ञान है और न केवल काल्पनिक दर्शन अथवा साहित्यिक रचना है। इन सबके यथोचित संमिश्रण से इतिहास का स्वरूप रचा जाता है