Psychology, asked by Rajiv5194, 1 year ago

बतौर शिक्षक के तौर पर अनुशाशन की समझ

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Answered by pawar8
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जब भी हम समाज में शिक्षकों के योगदान की बात करते हैं तो बरबस हमें संत कबीर का यही दोहा याद आ जाता है। हमारे देश में गुरु-शिष्य परंपरा का बहुत गौरवशाली इतिहास रहा है। पहले जहां शिष्य स्वयं को गुरु के चरणों में अर्पित कर देते थे, वहीं गुरु भी शिष्य को केवल किताबी ज्ञान नहीं देते थे, बल्कि उसके संपूर्ण व्यक्तित्व को संवारकर उसे जीने की कला सिखाते थे। समय बदला, उसके साथ लोगों की जरूरतें भी बदलने लगीं। बैंक में कार्यरत शर्मिष्ठा चक्रवर्ती कहती हैं, 'बचपन में अंकगणित के सवाल हल करते हुए जल्दबाजी में अकसर मुझसे गलतियां हो जाती थीं। हमारी मैथ्स टीचर आभा शर्मा इसके लिए मुझे बहुत डांटती थीं। फिर भी मेरी इस आदत में सुधार नहीं आ रहा था। क्लास वर्क के दौरान सबसे पहले सवाल हल करने की होड में जोड-घटाव के दौरान मुझसे अकसर कोई न कोई चूक हो जाती। एक रोज हमेशा की तरह मैंने सबसे पहले सवाल हल करके हाथ उठाया तो मैम ने मेरी कॉपी लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पहले तुम ध्यान से रिवीजन करो, उसके बाद मुझे अपनी कॉपी दिखाना। उस वक्त मुझे बहुत गुस्सा आया लेकिन जब मैंने दोबारा ध्यान से चेक किया तो सचमुच उस सवाल को हल करने में मुझसे एक जगह गलती हुई थी। पांच मिनट के बाद जब मैंने उन्हें अपनी कॉपी दी तो उन्होंने मुझे समझाया कि ऐसी जल्दबाजी से क्या फायदा, चाहे गणित के सवाल हों या जिंदगी से जुडी समस्याएं, हमें हमेशा धैर्य के साथ उनका हल ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए। टीचर की इस बात का मेरे मन पर इतना गहरा असर हुआ कि अब मैं हमेशा सोच-समझकर निर्णय लेती हूं। बैंक की नौकरी में भी उनकी यही सीख मेरे बहुत काम आती है।' फ्रेंड, फिलॉसफर और गाइड स्कूल में टीचर बच्चों को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं देते बल्कि उनके व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास पर भी पूरा ध्यान देते हैं। खास तौर पर बोर्डिंग स्कूल में छात्रों के साथ टीचर का बेहद अपनत्व भरा रिश्ता होता है। वनस्थली विद्यापीठ निवाई (राज.) के बिजनेस स्कूल के डीन प्रो. हर्ष पुरोहित कहते हैं, 'हम स्किल डेवलपमेंट के साथ अपनी स्टूडेंट्स के संपूर्ण व्यक्तित्व के समग्र विकास पर विशेष ध्यान देते हैं ताकि यहां से पढाई पूरी करने के बाद हमारी छात्राएं जब अपनी प्रोफेशनल लाइफ में जाएं तो उनका व्यक्तित्व इतना मजबूत बन चुका हो कि वे भविष्य में आने वाली सभी मुश्किलों का सामना सहजता से करने में सक्षम हों। हमारी छात्राओं में इतना आत्मविश्वास हो कि वे बिना किसी दुविधा के अपने सभी निर्णय स्वयं ले सकें। हम शुरू से ही उनमें अच्छी आदतें विकसित करते हैं और स्कूल की पढाई खत्म होने के बाद घर वापस जाते समय उनसे हमेशा यही कहते हैं कि तुम देश की जिम्मेदार नागरिक बनो।

Rajiv5194: Good
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