बदला बसेरा पाठ के सब लोग को कोलकाता में मन क्यों नहीं लग रहा था
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वफाओं की बातें की जफ़ाओं के सामने,
ले चले हम चिराग़ हवाओं के सामने,
उठे हैं जब भी हाथ बदली हैं क़िस्मतें,
मजबूर है खुदा भी दुआओं के सामने। koi msg karo 7579939947=
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