बदलू की किस बात से लेखक को उसकी स्वाबिमानी पर गर्व हो आया
Answers
Answered by
4
Answer:
जमींदार ने अपनी बेटी की शादी के लिए बनवाया था लेकिन केवल दस आने पैसे में इसे खरीदना चाहता था लेकिन मैंने देने से ही इंकार कर दिया। यह सुनकर लेखक को बदलू की स्वाभिमानी पर गर्व हो आया कि बदलू ने लाख की चूड़ियाँ न बिकने के दिनों में भी अपने उसूल न तोड़े और कम पैसों में 'सुहाग की चूड़ियों का जोड़ा' न दिया।
Explanation:
ok like please
Similar questions