बदल दो ज़माना, धरा जगमगाओ,पसीना बहा, धूल सोना बनाओ।घृणा को घृणा से कठिन जीत पाना.कठिन बैर को बैर से है दबानाकठिन है बहुत राह इस ज़िन्दगी की।बनाओ उसे तुम सुकोमल बनाओ।बदल दो ज़माना, धरा जगमगाओ।बहुत ही सरल है उठे को गिराना,बहुत ही सरल है बने को मिटाना,सरल है नहीं किंतु निर्माण करना।अगर हो सके तो इसे कर दिखाओ।बदल दो ज़माना, धरा जगमगाओ।(i) कवि क्या करने के लिए कह रहे हैं?(क) ज़माना बदलने (ख) धरती जगमगाने(ग) पसीना बहाकर सोने जैसा फल पाने(घ) उपर्युक्त सभी(ii) कवि ने कौन-सी बातें कठिन मानी हैं?(क) घृणा से घृणा को जीतना(ख) बैर को बैर से दबाना(ग) जिंदगी की राह को सरल बनाना(घ) उपर्युक्त सभी बातें(iii) कवि ने किन बातों को सरल बताया है?(क) घृणा को प्यार से जीतना(ख) कठिन राह को कोमल बनाना(ग) नया निर्माण करना(घ) उठे को गिराना और बने को मिटाना(iv) कवि क्या कर दिखाने के लिए कह रहे हैं?(क) कठिन कार्यों को करने के लिए(ख) उठे हुए को गिराने के लिए what are the answer
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i) upyurkt sabhii
ii) upyurkt sabhii
iii) uthe Ko giraana or bane Ko mitana
iv) kathin karyo Ko karne ke liye
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