Hindi, asked by singhsaurav3617, 10 months ago

बदलने की क्षमही बुद्धिमत्ता का माफ हो निबंध

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Answered by mayank839380
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यह कथन अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा कहा गया है हमारा जीवन परिवर्तनशील होना चाहिए हमें लकीर के फकीर ना बनकर परिवर्तनों का आनंद लेना चाहिए में परिवर्तन के पीछे का लाभ जानकर परिवर्तन में घुल मिल जाना चाहिए जिस प्रकार एक रुका हुआ चल होता है वह हमेशा गंदा ही होता है क्योंकि वह निरंतर परिवर्तनशील नहीं होता है वह एक ही जगह रुका होता है जबकि बहता हुआ जल परिवर्तनशील होता है इसीलिए वह कभी खड़ा नहीं होता हमें उसी जल की तरह होना है

Explanation:

तुम इसे प्रस्तावना और कई खंडों में लिख सकते हो

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