बदलने की क्षमता ही बुद्धि का मापन है पर हिंदी निबंध 1000शब्दों में
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बदलने की क्षमता ही बुद्धिमत्ता का माप है।
बदलने की क्षमता ही बुद्धिमत्ता का माप है। वो ही व्यक्ति श्रेष्ठ होता जिसमें लचीलापन होता है अर्थात जो समय की मांग के अनुसार स्वयं को परिवर्तित करता रहे।
समय निरंतर परिवर्तनशील है और मनुष्य परिवर्तनशील समय के अनुसार स्वयं को लचीला बनाये रखे इसमें ही समझदारी है। समय के साथ चलने के लिये आवश्यक है कि समय में होने वाले परिवर्तन को स्वीकारें और उसी के अनुसार चलें। इस संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है। संसार में पल-पल, प्रतिक्षण कुछ ना कुछ बदलता ही रहता है। पुराने को भूल कर नए का स्वागत करना ही समझदारी है। इसलिए बदलाव की क्षमता बुद्धिमत्ता का पैमाना है इस बात में कोई संदेह नहीं।
तूफान के आने पर लचीले वृक्ष स्वयं को झुका कर अपना अस्तित्व बचा लेते हैं लेकिन कठोर वृक्ष अपनी अकड़ में रहते हैं और स्वयं को तूफानी तेज हवाओं के सामने नही झुकाते इसके फलस्वरूप वो टूट कर बिखर जाते हैं, उनका अस्तित्व ही मिट जाता है। इस उदाहरण से ये निष्कर्ष निकलता हैं कि जो बदल गया वो बच गया, जो नही बदला मिट गया।
जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में नित्य नए-नए खोज हो रहे हैं और नए नए प्रयोग हो रहे हैं यह सब बदलाव का ही सूचक है। मानव की सोच और विचारधारा भी परिवर्तित होती जा रही है। जो लोग अपनी पुरानी बेड़ियों और कुरीतियों को त्याग कर प्रगतिशील विचारधारा को अपना रहे हैं वो आज के समाज में सामंजस्य बिठाने में सक्षम हो पा रहे हैं जो लोग ऐसा नही कर पा रहे हैं वो जीवन के क्षेत्र में पिछड़ते जा रहे हैं।
आप रोज एक तरह का खाना खाते ऊब जाते होंगे, क्यों? वो भी खाना ही है, वो पोषण तो देगा ही। तो इसका कारण है कि आप भी बदलाव चाहते हैं। जीवन में एकरसता नीरसता को जन्म देती है। समय भी इसी कारण बदलाव चाहता है, जब पुराना हटेगा तभी तो नवीनता का सृजना होगा।
अगर निरंतर न होता रहता तो संसार कभी इतना विकसित रूप ही नही ले पाता। हम आज भी पुरातन युग की शैली में जी रहे होते। हमारा जीवन नीरस होता। ये बदलाव करते रहने की प्रवृत्ति के कारण ही संसार विकास के मुहाने पर खड़ा हुआ।
इसलिये बदलाव ही बुद्धिमत्ता की पहचान हैं। इसमें कोई दो राय नही।