buddhi bhagwan ki den hai aur vidya guru ki aadhaar bataate hue ek maulik kahani likhiye
Answers
Answer:
गौतम बुद्ध और उनका धम्म
Explanation:
बौद्ध धम्म साहित्य में एक तरफ तो लिखा है फलां बात ऐसे है वहीँ कहीं दूसरी तरफ लिखा है फलां बात ऐसे नहीं ऐसे है|आज बौद्ध धम्म की तरफ अग्रसर लोगों की सबसे बड़ी परेशानी ये है की वो किसको सही माने किसको गलत,किसको अपनाएं किसको छोड़ें|बौद्ध धम्म के पतन के लिए न केवल दमन से बल्कि विरोधियों ने भिक्षु बन कर बौद्ध साहित्य में बहुत ज्यादा मिलावट कर दी थी| वही मिलावट का साहित्य आज मार्किट में उपलब्ध है जिसका सार यही बनता है जी जीवन नीरस है कुछ मत करो या ये बनता है की भगवान् बुद्धा एक इश्वरिये शक्ति थे उनकी पूजा करो और कृपा लाभ मिलेगा |असल में बौद्ध धम्म मनुवादी षडियन्त्र और अन्याय द्वारा व्याप्त दुःख को मिटने वाली क्रांति है ये इश्वरिये सिद्धांत को नकारता है|इस सबसे बचने का यही इलाज है की आप अन्यत्र किसी धम्म साहित्य ज्यादा ध्यान मत दो| युगपुरुष महाज्ञानी बहुजन मसीहा एव आधुनिक भारत के उत्क्रिस्ट शिल्पकार बाबा साहेब डॉ आंबेडकर की निम्न तीन पुस्तकों को शुरुआती ज्ञान से लेकर अंतिम रेफरेंस तक मनो :
१. भगवन बुद्धा और उनका धम्म
२. भगवन बुद्धा और कार्ल मार्क्स
३. प्राचीन भारत में क्रांति और प्रतिक्रांति
ये बात स्वेव बाबा साहब की है वे खुद बौध धम्म को सही मायेने में समझाना चाहते थे न की आम धर्म की तरह| इन तीनो पुस्तकों से आगे जाना असल में अपने को धम्म विरोधी मिलावट में फ़साना होगा|इन तीन पुस्तकों की रचना डॉ आंबेडकर ने इसी भटकाव को रोकने के लिए किया है और ये बात उन्होंने खुद कही है|हमें आखिर कहीं किसी बिन्दु पर तो एक मत होना ही होगा वरना विरोधी अपनी चाल चल जायेंगे और हम सही गलत की बहस ही करते रह जायेंगे,अब फैसला आपके हाथ में है|”…..समयबुद्धा
Answer:
बौद्ध धम्म साहित्य में एक तरफ तो लिखा है फलां बात ऐसे है वहीँ कहीं दूसरी तरफ लिखा है फलां बात ऐसे नहीं ऐसे है|आज बौद्ध धम्म की तरफ अग्रसर लोगों की सबसे बड़ी परेशानी ये है की वो किसको सही माने किसको गलत,किसको अपनाएं किसको छोड़ें|बौद्ध धम्म के पतन के लिए न केवल दमन से बल्कि विरोधियों ने भिक्षु बन कर बौद्ध साहित्य में बहुत ज्यादा मिलावट कर दी थी| वही मिलावट का साहित्य आज मार्किट में उपलब्ध है जिसका सार यही बनता है जी जीवन नीरस है कुछ मत करो या ये बनता है की भगवान् बुद्धा एक इश्वरिये शक्ति थे उनकी पूजा करो और कृपा लाभ मिलेगा |असल में बौद्ध धम्म मनुवादी षडियन्त्र और अन्याय द्वारा व्याप्त दुःख को मिटने वाली क्रांति है ये इश्वरिये सिद्धांत को नकारता है|इस सबसे बचने का यही इलाज है की आप अन्यत्र किसी धम्म साहित्य ज्यादा ध्यान मत दो| युगपुरुष महाज्ञानी बहुजन मसीहा एव आधुनिक भारत के उत्क्रिस्ट शिल्पकार बाबा साहेब डॉ आंबेडकर की निम्न तीन पुस्तकों को शुरुआती ज्ञान से लेकर अंतिम रेफरेंस तक मनो :
१. भगवन बुद्धा और उनका धम्म
२. भगवन बुद्धा और कार्ल मार्क्स
३. प्राचीन भारत में क्रांति और प्रतिक्रांति
ये बात स्वेव बाबा साहब की है वे खुद बौध धम्म को सही मायेने में समझाना चाहते थे न की आम धर्म की तरह| इन तीनो पुस्तकों से आगे जाना असल में अपने को धम्म विरोधी मिलावट में फ़साना होगा|इन तीन पुस्तकों की रचना डॉ आंबेडकर ने इसी भटकाव को रोकने के लिए किया है और ये बात उन्होंने खुद कही है|हमें आखिर कहीं किसी बिन्दु पर तो एक मत होना ही होगा वरना विरोधी अपनी चाल चल जायेंगे और हम सही गलत की बहस ही करते रह जायेंगे,अब फैसला आपके हाथ में है|”…..समयबुद्धा