Hindi, asked by tejaljadhav67, 11 months ago

budhe vekti ki aatmkatha

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Answered by rockyak4745
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Hii dear here is ur answer


मैं सत्तर साल का बूढ़ा! ये है मेरी आत्मकथा,
प्रिय मित्रो इसे पढना और सुनना ज़रा,
निकलता हूँ घर से चन्द पैसे की खातिर,
ज्यादा नहीं बस दो जून रोटी की खातिर,
मीठी गोलिया झोले में लटकाएं,
अपने दिल में उम्मीद जगाए,
कि खाली हाथ न लौट पाऊँ,
और घर आकर चैन की नींद सो जाऊं..
.
पर कदम बाहर रखकर फिर होता है एहसास,
कि कोई देता आखिर मुझे भी सहारा काश,
कि दुनिया उम्मीदों से कितनी कम हैं,
हर किसी को बस अपना ही गम हैं,
फिर भी बूढ़ा यही आस मैं करता हूँ,
कि ईश्वर मुझे खुद्दारी की मौत दे,
रहूं मैं भी स्वस्थ हमेशा,
सुकून का पल ना सही मुझे चैन की सोच दे,
.
जब कोई नन्हा बच्चा मीठी गोलियों को देखता हैं,
तब मन ही मन ये बूढ़ा सोचता हैं,
की माँ-बाप शायद अपने बच्चो का मन बहलायें,
दो चार मीठी गोलिया उसको भी खिलायें,
बस इसी उम्मीद में घर से निकलता हूँ,
जाने कितनी दूर हर रोज़ मैं चलता हूँ,
बसों में जाकर अपनी गोली का परचार मैंने किया,
कुछ ने तरस से कुछ ने शौख से गोलियों को लिया..
.
पर क्या यही मेरी किस्मत हैं और यही कहानी हैं,
अपने जिन बच्चो के लिए लुटाई मैंने जवानी हैं,
अब मैं उनके लिए जैसे एक बोझ बन गया हूँ,
मेरा क्या मैं तो एक पुरानी सोच बन गया हूँ,
जिनमे मेरी कभी दुनिया बसती थी,
हर तरफ मेरी कहानी उनसे ही सजती थी,
अपनी ज़िन्दगी का हर लम्हा दिया है जिनको,
मुझे एक पल देना खटकता हैं उनको...
.
बस आपसे यही निवेदन हैं मेरे मित्र,
दिखूं बेचता कभी कोई गोली, गुड्डा या चित्र,
भिखारी न समझना मुझे मैं सिर्फ मजबूर हूँ,
लाचार उतना नहीं हूँ और खुद्दार तो जरुर हूँ,
क्या करूं जो हो गया सो हो गया,
मैंने पाया था जो भी अब खो गया,
अब यही मेरा जीवन हैं यही कहानी है,
दिल मेरा जवान है और बाकि मेरी जवानी है..
.
मैं सत्तर साल का बूढ़ा! ये है मेरी आत्मकथा,
प्रिय मित्रो इस पढ़ा तो अब सुनाना सबको ज़रा...
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