Hindi, asked by kamalbhardwajmfpc, 3 days ago

बड़ा अफ़सर पर कहानी लेखन​

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Answered by sandipsagare8588
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Answer:

Explanation:

मुरारी लाल अपने गाँव के सबसे बड़े चोरों में से एक था। मुरारी रोजाना जेब में चाकू डालकर रात को लोगों के घर में चोरी करने जाता। पेशे से चोर था लेकिन हर इंसान चाहता है कि उसका बेटा अच्छे स्कूल में पढाई करे तो यही सोचकर बेटे का एडमिशन एक अच्छे पब्लिक स्कूल में करा दिया था।

मुरारी का बेटा पढाई में बहुत होशियार था लेकिन पैसे के अभाव में 12 वीं कक्षा के बाद नहीं पढ़ पाया। अब कई जगह नौकरी के लिए भी अप्लाई किया लेकिन कोई उसे नौकरी पर नहीं रखता था।

 

एक तो चोर का बेटा ऊपर से केवल 12 वीं पास तो कोई नौकरी पर नहीं रखता था। अब बेचारा बेरोजगार की तरह ही दिन रात घर पर ही पड़ा रहता। मुरारी को बेटे की चिंता हुई तो सोचा कि क्यों ना इसे भी अपना काम ही सिखाया जाये। जैसे मैंने चोरी कर करके अपना गुजारा किया वैसे ये भी कर लेगा।

यही सोचकर मुरारी एक दिन बेटे को अपने साथ लेकर गया। रात का समय था दोनों चुपके चुपके एक इमारत में पहुंचे। इमारत में कई कमरे थे सभी कमरों में रौशनी थी देखकर लग रहा था कि किसी अमीर इंसान की हवेली है।

 

मुरारी अपने बेटे से बोला – आज हम इस हवेली में चोरी करेंगे, मैंने यहाँ पहले भी कई बार चोरी की है और खूब माल भी मिलता है यहाँ। लेकिन बेटा लगातार हवेली के आगे लगी लाइट को ही देखे जा रहा था।

मुरारी बोला – अब देर ना करो जल्दी अंदर चलो नहीं तो कोई देख लेगा। लेकिन बेटा अभी भी हवेली की रौशनी को निहार रहा था और वो करुण स्वर में बोला – पिताजी मैं चोरी नहीं कर सकता।

मुरारी – तेरा दिमाग खराब है जल्दी अंदर चल

बेटा – पिताजी, जिसके यहाँ से हमने कई बार चोरी की है देखिये आज भी उसकी हवेली में रौशनी है और हमारे घर में आज भी अंधकार है। मेहनत और ईमानदारी की कमाई से उनका घर आज भी रौशन है और हमारे घर में पहले भी अंधकार था और आज भी

मैं भी ईमानदारी और मेहनत से कमाई करूँगा और उस कमाई के दीपक से मेरे घर में भी रौशनी होगी। मुझे ये जीवन में अंधकार भर देने वाला काम नहीं करना। मुरारी की आँखों से आंसू निकल रहे थे। उसके बेटे की पढाई आज सार्थक होती दिख रही थी।

 

मित्रों। बेईमानी और चोरी से इंसान क्षण भर तो सुखी रह सकता है लेकिन उसके जीवन में हमेशां के लिए पाप और अंधकार भर जाता है। हमेशा अपने काम को मेहनत और ईमानदारी से करें।

बेईमानी की कमाई से बने पकवान भी ईमानदारी की सुखी रोटी के आगे फीके हैं। कुछ ऐसा काम करें कि आप समाज में सर उठा के चल सकें।

Answered by maheksah222
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Answer:

एक बार एक शक्तिशाली राजा घने वन में शिकार खेल रहा था। अचानक आकाश में बादल छा गए और मूसलाधार वर्षा होने लगी। सूर्य अस्त हो गया और धीरे-धीरे अँधेरा छाने लगा। अँधेरे में राजा अपने महल का रास्ता भूल गया और सिपाहियों से अलग हो गया। भूख प्यास और थकावट से व्याकुल राजा जंगल के किनारे एक टीले पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसने वहाँ तीन बालकों को देखा।

तीनों बालक अच्छे मित्र थे। वे गाँव की ओर जा रहे थे। सुनो बच्चों! ‘जरा यहाँ आओ।’ राजा ने उन्हें बुलाया। बालक जब वहाँ पहुंचे तो राजा ने उनसे पूछा – ‘क्या कहीं से थोड़ा भोजन और जल मिलेगा?’ मैं बहुत प्यासा हूँ और भूख भी बहुत लगी है।बालकों ने उत्तर दिया – ‘अवश्य ‘। हम घर जा कर अभी कुछ ले आते है। वे गाँव की ओर भागे और तुरंत जल और भोजन ले आये। राजा बच्चों के उत्साह और प्रेम को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ।

राजा बोला – “प्यारे बच्चों! तुम लोग जीवन में क्या करना चाहते हो? मैं तुम सब की सहायता करना चाहता हूँ।”

दूसरे बालक ने बड़े उत्साह से पूछा – “क्या आप मुझे एक बड़ा-सा बँगला और घोड़ागाड़ी देंगे?’ राजा ने कहा – अगर तुम्हे यही चाहिए तो तुम्हारी इच्छा भी पूरी हो जाएगी।

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