बड़े बुजुर्गों के प्रति एक छोटी सी कहानी लिखिए
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एक बुज़ुर्ग महिला से एक युवती ने एक सवाल पूछा की आपको तो जिंदगी का बहुत अनुभव है क्या आप हमें कुछ शिक्षा या नसीहत दे सकती है ?
बुजुर्ग महिला कुछ अपनी जिंदगी की उदेडबुन में थी. और तमतमाकर अजीब सा उत्तर दिया – “तूने कभी बर्तन धोये हैं?”
तो उस युवती ने हैरान होकर जवाब दिया – “जी बिलकुल धोये हैं और रोज़ धोती हु.”
फिर बुजुर्ग महिला ने सवाल किया की “तो क्या सीखा?”
उस युवती ने कहा – “इसमें सीखने वाली बात क्या है?”
बुज़ुर्ग ने महिला ने जवाब दिया – “बर्तन को बाहर से कम, अन्दर से ज़्यादा धोना पड़ता है बेटी”
उस युवती को तुरंत समझ आ गया की उसे क्या शिक्षा मिली है.
क्या आपको भी समझ आया की उस बुजुर्ग महिला ने उस युवती को गुस्से में भी क्या समझाना चाहा अगर नहीं तो चलिए हम बता देते है. उस बुजुर्ग महिला का तात्पर्य था की – “हम सभी शरीर को धोने में लगे हुए है मन को कब धोएंगे?” क्युकी जिस दिन हर इन्सान ने अपना मन धो लिया ये धरती स्वर्ग बन जाएगी.
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