बड़े घर की बेटी कहानी में आनंदी ने कैसे अपने आप को नए व पुराने परिस्थितियों में संभाला?
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Explanation:
मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखित बड़े घर की बेटी प्रसिद्ध कहानी है . आनंदी इस कहानी में मुख्य पात्र बन कर उभरती है . वह एक उच्च तथा समृद्ध परिवार गुणवती व रूपवती कन्या है . उसका विवाह एक सामान्य परिवार के पुरुष श्रीकंठ से हो जाती है .अपनी समझदारी से वह सुख - साधनों को भुलाकर वह परिवार में सामंजस्य बिठा लेती है.
वह अपने मायके की निंदा सहन नहीं कर पाती है . वह अपने देवर को उत्तर देते हुए कहते है की हाथी मारा तो नौ लाख का .वहां इतना घी नित्य नाई - कहार खा जाते है एक जिम्मेदार बहु की तरह आनंदी ने अपने घर की कामकाज को भी संभाल लिया . अपने घर के सभी लोगों का वह बहुत ख्याल रखती थी . कलह होने के बाद भी वह अपना घर छोड़ कर नहीं जाना चाहती है.
आनंदी उदार एवं बड़े दिल वाली महिला है . आनंदी ने अपने देवर लाल बिहारी की शिकायत तो श्रीसंत से कर देती है,लेकिन उसे बाद में पछतावा भी होता है .बात को बिगड़ता देख वह लाल बिहारी को क्षमा करते हुए उसे छोड़ कर जाने से भी रोक लेती है और घर का वातावरण सौहार्द्रपूर्ण बनाती .
इस प्रकार आनंदी बड़े घर की बेटी की तरह हर जगह प्रशंसा की पात्र है