बड़े घर की बेटी' शीर्षक कहानी के नामकरण की सार्थकता पर विचार कीजिए।
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This is not English subject
This is hindi subject
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कहानी बड़े घर की बेटी का शीर्षक सार्थक है। इस कहानी में एक उच्च कुल की लड़की आनंदी का विवाह एक गांव के परिवार में श्रीकंठ से होता है। वह अपने आप को उस नई परिस्थिति में अनुकूल बना लेती है। किंतु एक दिन उसका अपने देवर के साथ झगड़ा हो जाता है क्योंकि आनंदी ने पाव भर घी मांस में डाल दिया। इससे उसके देवर लाल बिहारी गुस्सा होकर उस पर खड़ा हूं फेंक देते हैं। आनंदी को गुस्सा आ जाता है और कुछ दिन बाद वह अपने पति से यह बात करती है जिससे श्रीकंठ अपने पिता से कहते हैं कि या तो इस घर में अब वे रहेगा या उसका छोटा भाई। लाल बिहारी को यह सुनकर बुरा लगता है और वह अपने भाई पर क्षमा भी मांगता है किंतु वे उसे क्षमा नहीं करते। अंत में आनंदी को इस बात का एहसास हो जाता है कि घर को टूटने नहीं देना चाहिए और वह अपने देवर को क्षमा कर देती है। अंत में बेनी माधव सिंह कहते हैं बड़े घर की बेटियां बिगड़ता हुआ काम भी बना लेती हैं।