बड़ी कठिन समस्या है। झूि़ी बातों को सुनकर चुप हो कर रहना ह़ी भले अदम़ी की चाल है , परंतु आस
स्वाथथ और ललप्सा के जगत में लजन लोगों ने करोडों के ज़ीवन-मरण का भार कं धे पर ललया है वे ईपेक्षा भ़ी
नहीं कर सकते। ज़रा स़ी गफलत हुइ कक सारे संसार में अपके लवरुद्ध ज़हऱीला वातावरण तैयार हो जाएगा।
अधुलनक युग का यह एक बडा भाऱी ऄलभशाप है कक गलत बातें बड़ी तेज़ी से फै ल जात़ी हैं।
समाचारों के श़ीघ्र अदान-प्रदान के साधन आस युग में बडे प्रबल हैं , जबकक धैयथ और शांलत से मनुष्य की
भलाइ के ललए सोचने के साधन ऄब भ़ी बहुत दुबथल हैं। सो , जहााँ हमें चुप होना चालहए, वहााँ चुप रह जाना
खतरनाक हो गया है। हमारा सारा सालहत्य ऩीलत और सच्चाइ का सालहत्य है। भारतवषथ की अत्मा कभ़ी
दंगा-फसाद और टंटे को पसंद नहीं करत़ी परंतु आतऩी तेज़़ी से कू टऩीलत और लमथ्या का चक्र चलाया जा रहा
है कक हम चुप नहीं बैि सकते।
ऄगर लाखों-करोडों की हत्या से बचना है तो हमें टंटे में पडना ह़ी होगा। हम ककस़ी को मारना नहीं चाहते
पर कोइ हम पर ऄन्याय से टूट पडे तो हमें ज़रूर कु छ करना पडेगा। हमारे ऄंदर हया है और ऄन्याय करके
पछताने की जो अदत है ईसे कोइ हमाऱी दुबथलता समझे और हमें साऱी दुलनया के सामने बदनाम करे यह
हमसे नहीं सहा जाएगा। सहा जाना भ़ी नहीं चालहए। सो , हालत यह है कक हम सच्चाइ और भद्रता पर दृढ़
रहते हैं और ओछे वाद-लववाद और दंगे-फसादों में नहीं पडते। राजऩीलत कोइ ऄजपा-जाप तो है नहीं।
यह स्वाथों का संघषथ है। करोडों मनुष्यों की आज्जत और ज़ीवन-मरण का भार लजन्होंने ईिाया है वे समालध
नहीं लगा सकते। ईन्हें स्वाथों के संघषथ में पडना ह़ी पडेगा और कफर भ़ी हमें स्वाथी नहीं बनना है।
लवषमता शोषण की जनऩी है। समाज में लजतऩी लवषमता होग़ी , सामान्यतया शोषण ईतना ह़ी ऄलधक
होगा। चूाँकक हमारे देश में सामालजक, अर्थथक, शैक्षलणक व सांस्कृ लतक ऄसमानताएाँ ऄलधक हैं लजसकी वजह
से एक व्यलि एक स्थान पर शोषक तथा वह़ी दूसरे स्थान पर शोलषत होता है चूाँकक जब बात ईपभोिा
संरक्षण की हो तब पहला प्रश्न यह ईिता है कक ईपभोक ता ककसे कहते हैं? या ईपभोिा की पठरभाषा क्या
है? सामान्यतः ईस व्यलि या व्यलि समूह को ईपभोिा कहा जाता है जो स़ीधे तौर पर ककन्हीं भ़ी वस्तुओं
ऄथवा सेवाओं का ईपयोग करते हैं। आस प्रकार सभ़ी व्यलि ककस़ी-न-ककस़ी रूप में शोषण का लशकार ऄवश्य
होते हैं।
हमारे देश में ऐसे ऄलशलक्षत , सामालजक एवं अर्थथक रूप से दुबथल ऄशि लोगों की भ़ीड है जो शहर की
मललन बलस्तयों में, फु टपाथ पर, सडक तथा रेलवे लाआन के ककनारे, गंदे नालों के ककनारे झोंपड़ी डालकर
ऄथवा ककस़ी भ़ी ऄन्य तरह से ऄपना ज़ीवन-यापन कर रहे हैं। वे दुलनया के सबसे बडे प्रजातांलिक देशों की
समाजोपायोग़ी ईर्धवथमुख़ी योजनाओं से वंलचत हैं, लजन्हें अधुलनक सफे दपोशों, व्यापाठरयों, नौकरशाहों एवं
तथाकलथत बुलद्धज़ीव़ी वगथ ने लमलकर बााँट ललया है। सह़ी मायने में शोषण आन्हीं की देन है।ईपभोिा शोषण का तात्पयथ के वल ईत्पादकता व व्यापाठरयों द्वारा ककए गए शोषण से ह़ी ललया जाता है
जबकक आसके क्षेि में वस्तुएाँ एवं सेवाएाँ दोनों ह़ी सलममललत हैं , लजनके ऄंतगथत डॉक्टर , लशक्षक, प्रशासलनक
ऄलधकाऱी, वकील सभ़ी अते हैं। आन सबने शोषण के क्षेि में जो कीर्थतमान बनाए हैं वे वास्तव में लगऩीज
बुक ऑफ वर्लडथ ठरकॉर्डसथ में दजथ कराने लायक हैं।
प्रश्नः 1.लेखक ने ककसे कठिन समस्या माना है और क्यों?
प्रश्नः 2.अधुलनक युग का ऄलभशाप ककसे माना गया है और क्यों ?
प्रश्नः 3 चुप रहना कब खतरनाक होता है, कै से?
प्रश्नः 4भारतवषथ की कोइ एक लवशेषता गद्ांश के अधार पर स्पष्ट कीलजए।
प्रश्नः 5लेखक ने संघषथ करना क्यों अवश्यक माना है?
प्रश्नः 6.अशय स्पष्ट कीलजए राजऩीलत कोइ ऄजपा-जाप तो है नहीं।
प्रश्नः 7उर्धवथमुख़ी योजनाओं से वंलचत है’-वाक्य का अशय समझाआए।
प्रश्नः 8 लवषमता शोषण की जनऩी है’-कै से? स्पष्ट कीलजए |
प्रश्न:9 देश की समाजोपयोग़ी योजनाओं से कौन-सा वगथ वंलचत रह जाता है और क्यों?
प्रश्न:10 सामान्यतः शोषण का दोष़ी ककसे कहा जाता है और क्यों?
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1 afwao ke daur me shant rahna
2 galat baato ka prachar prasar
3 jab galat prachar hota h
5 jan ki haani se bachne ke liye
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