बड़े न
हूजै गुनन बिन, बिरद बड़ाई पाए।
कहत धतूरे सो कनक, गहनो गढ्यौ न जाए।
Answers
Answer:
Aadmi chahe jitna bada ho jaaye , yash or khyaati praapt kar le , lekin bina gudo ke mahaanta nahi praapt kar sakta . Bihaarilal kehte hai ki dhatoore ko bhi kanak kaha jaata hai lekin sone ki tarah usse gehne nahi banvaaye jaa sakte .
Answer:
यह दोहा हिंदी में है और इसका अर्थ में निम्नलिखित हैं:
Explanation:
"बड़े न हूजै गुनन बिन, बिरद बड़ाई पाए।" - बिना गुणों के कोई व्यक्ति महान नहीं होता, लेकिन बड़े कार्य करने से उसका सम्मान बढ़ता है। इसलिए, बड़ा काम करने से हमें बड़ा बिरदारी मिलती है।
"कहत धतूरे सो कनक, गहनो गढ्यौ न जाए।" - यह दोहा एक और संदेश देता है कि धन और संपत्ति की तुलना में अच्छी गुणवत्ता के साथ काम करना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। एक इंसान के गुण उसके धन से ज्यादा उसके व्यक्तित्व का पता लगाते हैं।
यह दोहा भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है और यह समझाता है कि एक व्यक्ति की शक्ति उसके गुणों और व्यक्तित्व से आती है, और धन या संपत्ति उसके गुणों की तुलना में कम होते हैं।
इस दोहे में उल्लेखित "बिरद" शब्द का अर्थ होता है सम्मान या बड़ाई और "धतूरे" शब्द का अर्थ होता है सोना। इस दोहे में धतूरे का उपयोग कनक या सोने से तुलना के लिए किया गया है जिससे इसका मतलब यह होता है कि जिस व्यक्ति को जितना सम्मान मिलना चाहिए, उससे कम सम्मान उसे न मिलना चाहिए।
To learn more about similar question visit:
https://brainly.in/question/2511685?referrer=searchResults
https://brainly.in/question/35818079?referrer=searchResults
#SPJ6