बड़े शहर की खुली सड़क पर
धूम रहा बा नटखट बदर,
एक पेड़ के नीचे उसने
देखा खड़ा विखारी बेघर
योग रहा था हाथ पसारे
सबसे रोटी को कुछ पैसे
लगा सोचने बंदर इसकी
मदद करूँ मैं जल्दी कैसे
शोध आम के एक पेड़ पर
जा पहुँचा बंदर कुती से.
आम तोड़कर झट से आया
खुट्टे-खुट्टे,
मोठे मोटो
उन्हें सौंपकर उस गरीब को
बोला-“खा लो भूख मिटेगी.
रोज करूगा यों ही मेहनत
तुममें मुझसे खून एटीगीय
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dear, what is question in it??
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You've given a very good poem but you didn't gave any questions.
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