Hindi, asked by koushiksharma2491, 1 year ago

बढ़ते भारत में हिंदी की भूमिका निबंध लेखन

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Answered by manny3
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कुछ समय से विचारशील जनों के मन में यह बात आने लगी है कि देश में एक भाषा और एक लिपि होने की बड़ी जरूरत है, और हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि ही इस योग्य है। हमारे मुसलमान भाई इसकी प्रतिकूलता करते हैं। वे विदेशी, फारसी लिपि और विदेशी भाषा के शब्‍दों से लबालब भरी हुई उर्दू को ही इस योग्‍य बतलाते हैं। परंतु वे हमसे प्रतिकूलता करते किस बात में नहीं? सामाजिक, धार्मिक, यहाँ तक कि राजनैतिक विषयों में भी उनका हिंदुओं से 36 का संबंध है। भाषा और लिपि के विषय में उनकी दलीलें ऐसी कुतर्कपूर्ण, ऐसी निर्बल, ऐसी सदोष और ऐसी हानिकारिणी हैं कि कोई भी न्‍यायनिष्‍ठ और स्‍वदेशीप्रेमी मनुष्‍य उनसे सहमत नहीं हो सकता। बंगाली, गुजराती, महाराष्‍ट्र और मदरासी तक जिस देवनागरी लिपि और और हिंदी भाषा को देशव्‍यापी होने योग्‍य समझते हैं वह अकेले मुट्ठी भर मुसलमानों के कहने से अयोग्‍य नहीं हो सकती। आबादी के हिसाब से मुसलमान इस देश में हैं ही कितने? फिर थोड़े हो कर भी जब वे निर्जीव दलीलों से फारसी लिपि और उर्दू भाषा की उत्तमता की घोषणा देंगे तब कौन उनकी बात सुनेगा? अतएव इस विषय में और कुछ कहने की जरूरत नहीं - पहले ही बहुत कहा जा चुका है। अनेक विद्वानों ने प्रबल प्रमाणों से हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि की योग्‍यता प्रमाणित कर दी है।

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