बढ़ते जाते धनत्व को सही बढ़ते क़्रम में लीखीए
हवा,चिमनी मेसे निकलता धूंआ,सहेली,पानी
जो गलत दिया उसकी 100 point काट दालुन्गा
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सौरमण्डल की उत्पत्ति एवं पृथ्वी की उत्पत्ति दोनों को स्पष्ट करने के अनेक वैज्ञानिक प्रयास हुए हैं इसके अंतर्गत फ्रांसीसी वैज्ञानिक बफन द्वारा पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में 1745 ई. में अपना विचार दिया गया !
जिसके अनुसार एक विशालकाय पुच्छलतारा सूर्य के समीप आया एवं दोनों में भयंकर टक्कर के फलस्वरूप ग्रहों- उपग्रहों की रचना हुई ! इसके अतिरिक्त बाह्य सौरमण्डल के अध्ययन एवं अन्वेषण के लिए वॉयजर – 1और 2 अन्तरिक्षयान प्रक्षेपित किए गए हैं
सौरमण्डल के अवयव ( Solar System Components )
सूर्य एवं उसके चारों और भ्रमण करने वाले आठ ग्रह, 65 उपग्रह, धूमकेतु उल्काएँ तथा क्षुद्रग्रह संयुक्त रूप से सौरमण्डल कहलाते हैं सौरमण्डल में सुर्य ( जो कि एक तारा है एवं पृथ्वी से निकटतम तारा भी है ) के परिवार में बुध (mercury), शुक्र (venus), पृथ्वी (Earth), मंगल (Mars), बृहस्पति (Jupiter), शनि (Saturn), अरुण (Uranus) तथा वरुण (Neptune) ग्रह एवं उनके उपग्रहों सहित क्षुद्रग्रह सम्मिलित हैं
सूर्य ( SUN )
इसकी अनुमानित आयु 4.5 अरब वर्ष मानी जाती है इसका व्यास 13,91,016 किमी ( पृथ्वी के व्यास 12,756 किमी से 109 गुना अधिक) है , जबकि आयतन 1.986×10 की पावर 3 किग्रा है सूर्य का औसत घनत्व 1.409 gm/cm की पावर 3 है यह मुख्यत: हाइड्रोजन (71%) , हिलियम (27%) आदि गैस का बना है इसके केंद्र का तापमान 1.57×10 की पावर 7 केल्विन है जबकि सतह का तापमान लगभग 5800°K है सूर्य की ऊपरी सतह को प्रकाश मण्डल कहते हैं
सूर्य में ऊर्जा संलयन की प्रक्रिया ( हाइड्रोजन गैस हीलियम में परिवर्तित हो रही है) से उत्पन्न हो रही है इसी प्रक्रिया के कारण सूर्य सहित सभी तारे प्रकाश उत्पन्न करते हैं सूर्य के ऊपर दिखाई पड़ने वाला काला धब्बा सौर कलंक कहलाता है जिसका तापमान सतह के तापमान से कम होता है ये विशाल चुम्बकीय क्षेत्र होते हैं एवं सौर ज्वालाओं की उत्पत्ति में सहायक कारक होते हैं