Hindi, asked by naina154, 1 year ago

बढ़ता जाऊंगा आगे ही लगा विजय किनारे सत्य अहिंसा प्रेम एकता होंगी तो हमारे कविता की इस पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट किजिए how will answer first I will mark as brainliest​

Answers

Answered by hughghgugu
0

Explanation:

सत्य और अहिंसा के आदर्शों पर भारत और सारे विश्व का निर्माण करना था गांधी का लक्ष्य

वाराणसी. गांधी जी कोई दार्शनिक नहीं थे, वो एक सच्चे विचारक एवं सन्त थे। उनका सारा जीवन कर्ममय था। व्यक्तिगत साधना में उनका विश्वास था। उनके जीवन का लक्ष्य केवल अंग्रेजी सत्ता से छुटकारा दिलाना नहीं बल्कि भारत और सारे विश्व का सत्य और अहिंसा के आदर्शों पर निर्माण करना था। गांधी जी ने पहली बार सत्य, अहिंसा और शत्रु के प्रति प्रेम के आध्यात्मिक और नैतिक सिद्धान्तों का राजनीति के क्षेत्र में इतने विशाल पैमाने पर प्रयोग किया और सफलता प्राप्त की। गांधी ने जहां एक ओर भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाई, वहीं दूसरी ओर संसार को अहिंसा का ऐसा मार्ग दिखाया, जिस पर यकीन करना कठिन तो नहीं पर अविश्वसनीय जरूर था।

ये कहना था महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी गांधी अध्ययन पीठ में आयोजित संगष्ठी में जमा गांधी के अनुयायियों का। कस्तूरबा 150 वर्षोत्सव के तहत यह संगोष्ठी आयोजित की गई थी। इस मौके पर चंपारण से दिल्ली तक की गांधी सद्भावना यात्रा के पथिकों स्वागत भी किया गया। वक्ताओं ने कहा कि आजादी के आंदोलन के दौरान गांधी ने लोगों को संघर्ष के तीन मंत्र दिए-सत्याग्रह, असहयोग और बलिदान। उन्होंने खुद इसे समय की कसौटी पर कसा भी। सत्याग्रह को सत्य के प्रति आग्रह बताया। यानी आदमी को जो सत्य दिखे उस पर पूरी शक्ति और निष्ठा से डटा रहे। बुराई, अन्याय और अत्याचार का किन्हीं भी परिस्थितियों में समर्थन न करे। सत्य और न्याय के लिए प्राणोत्सर्ग करने को बलिदान कहा। अहिंसा के बारे में उनके विचार सनातन भारतीय संस्कृति की प्रतिध्वनि है। गांधी जी के विचारों पर चल कर ही विश्व बंधुत्व कायम हो सकता है।

Similar questions