बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम पर निबंध
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Explanation:
आज हमारा देश भारत जिन भी समस्याओं से जूझ रहा है उनमें सबसे प्रमुख समस्या जनसंख्या वृद्धि की है किसी भी देश की अर्थव्यवस्था उस देश के भौगोलिक आधार एवं जनसंख्या पर निर्भर होती है परंतु यदि लोगों की संख्या सीमित दायरे से ज्यादा होती है तो राष्ट्रीय अर्थ संतुलन बिगड़ता है और उसका प्रभाव प्रत्येक नागरिक पर बुरा ही पड़ता है।
सन 1951 की जनगणना के हिसाब से अब तक भारत में अनाज की पैदावार में काफी वृद्धि हुई है परंतु फिर भी यहां के लोगों के लिए अनाज पर्याप्त नहीं हो पा रहा है,अभी हाल में हुए वर्ल्ड हंगर इंडेक्स में भारत 102 वें स्थान पर है वह अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका से काफी कमजोर स्थिति में है इसका मुख्य कारण यदि हम कहें तो कहीं न कहीं जनसंख्या वृद्धि है।
अपर्याप्त भोजन से शारीरिक दुर्बलता, शारीरिक दुर्बलता से कम उत्पादन कम उत्पादन से गरीबी और दरिद्रता से व्यक्ति का स्तर गिर गया है और इस वजह से बहुत से क्षेत्रों में निराशाजनक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, धन की कमी के कारण कृषि पशुपालन और उद्योगों में भी उन्नति नहीं हो पा रही है लोग जैसे-तैसे अपना काम चला रहे हैं किसी प्रकार बस जी भर ले रहे हैं। किसी भी देश की शक्ति का आकलन उस देश में रहने वाले नागरिकों के सामर्थ्य से होता है लेकिन यह तभी निश्चित हो पाता है जब उनके जीवन जीने के लिए साधन की उपलब्धता हो, जनसंख्या वृद्धि एक विस्फोटक समस्या है जो उत्पादन से अधिक की मांग करती है और हम कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन हम उस अभाव को कम नहीं कर पा रहे, जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी,बेकारी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहां की 70%जनता कृषि पर निर्भर है परंतु कृषि उद्योग में भी अब इतनी गुंजाइश नहीं रह गई है कि वह सीमित दायरे से अधिक लोगों के भार को वहन कर सकें उद्योगों तथा नौकरियों में भी बहुत थोड़े लोग ही खप सकते हैं ऐसी दशा में बेरोजगारी और बेकारी प्रति वर्ष बढ़ रही है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री माल्थस ने यह कहा है कि जिस गति से जनसंख्या का प्रभाव बढ़ता है उस गति से उत्पादन बढ़ा सकना संभव नहीं हो सकता इसलिए समझदार लोगों का कर्तव्य है अपने समाज में अनावश्यक जनसंख्या ना बढ़ने दें।
किसी भी देश के विकास के लिए यह आवश्यक है कि उस देश के नागरिकों का जीवन स्तर ऊंचा रहे और उसे उठाने के लिए हमारी सरकारों को प्रयत्न करना चाहिए अशिक्षा, गरीबी से पीड़ित लोग कभी भी एक देश की शक्ति नहीं बन सकते उनकी दुर्बलता एवं कठिनाइयां राष्ट्र के लिए समस्याएं पैदा करती हैं, या तो जनसंख्या के अनुरूप साधन उत्पन्न किए जाने चाहिए या साधनों के अनुरूप जनसंख्या को सीमित रखना चाहिए दोनों का संतुलन बहुत आवश्यक है यदि वह असंतुलित होता है
और साधनों की तुलना में आबादी बढ़ती है तो उसका परिणाम अशिक्षा, बेरोजगारी और गरीबी ही होता है।
बच्चों के पालन पोषण एवं शिक्षा की व्यवस्था के लिए किसी भी परिवार की आर्थिक स्थिति का अच्छा होना आवश्यक है परंतु जनसंख्या वृद्धि के कारण इतनी सामर्थ्य बहुत कम लोगों में है एक कहावत है कि यदि मेहमानों को ठहराने और खिलाने का प्रबंध ना हो तो उन्हें निमंत्रित नहीं करना चाहिए यह बुद्धिमता का चिन्ह नहीं है भुखमरी, अशिक्षा और गरीबी के लिए बच्चों को बुला बिठाना किसी भी विचारशील माता पिता के लिए शर्म की बात हो सकती है।
इसी संदर्भ में मैं कहना चाहूंगी कि प्रत्येक परिवार को अपने देश की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए संतानोत्पत्ति को सीमाबद्ध रखने का पूरा पूरा ध्यान रखना चाहिए, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा लाल किले के प्रांगण से सभी देशवासियों से जनसंख्या वृद्धि को रोकने का अनुरोध किया गया जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह कोई छोटी मोटी समस्या नहीं है, पहले हमारे समाचार पत्रों मैं विज्ञापन के माध्यम से संदेश जैसे की हम दो हमारे दो, बच्चे दो ही अच्छे, छोटा परिवार सुखी परिवार के द्वारा लोगों को जनसंख्या वृद्धि ना करने के लिए जागरूक किया जाता था परंतु विगत कुछ वर्षों से यह प्रयास बंद हो गए और उसका परिणाम यह निकला कि भारत की जनसंख्या द्रुतगति से बढ़ गई यदि हमारी जनसंख्या इसी गति से बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं कि जब हम चीन जैसे देश को जो जनसंख्या के मामले में पहले स्थान पर है पछाड़ देंगे।
अभी हाल ही में योग गुरु बाबा रामदेव खबरों में थे उन्होंने भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या वृद्धि को लेकर बोला की जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए वोट देने के अधिकार एवं सरकारी नौकरी से वंचित कर देना चाहिए हालांकि बाबा रामदेव की यह बात लोगों को कुछ कड़वी लग सकती है परंतु यही सत्य है यदि हमने आज कोई कठोर कदम नहीं उठाए जनसंख्या वृद्धि को रोकने में तो वह दिन दूर नहीं है कि जब हमें जीवित रहने के लिए एक दूसरे को मारना पड़ेगा।
जनसंख्या शास्त्री डॉ एस चंद्रशेखर का कथन है कि भारत के सुख समृद्धि और खुशहाली इस बात पर निर्भर रहेगी की बढ़ती हुई जनसंख्या की गति को बंद किया जाए।