बढ़ता शहरीकरण घटते वन निबंध लेखन
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आज के आधुनिक समय में जनसंख्या वृद्धि के साथ जंगलों का विनाश बढ़ गया है। लोग नहीं जानते कि पेड़ हमारी जिंदगी हैं। पेड़ों से हमें जीवनदायिनी हवा (ऑक्सीजन) मिलती है, पेड़ों और जंगलों से हम अपनी काफी ज़रूरतों को पूरा कर पाते हैं। जंगलों के ही कारण बारिश होती है लेकिन तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या के कारण मानव अपनी जरूरतों के लिए अंधाधुंध जंगलों का विनाश कर रहा है। यही कारण है कि आज जंगलों का अस्तित्व खतरे में है। नतीजतन मानव जीवन खतरे में भी है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में हर साल 1 करोड़ हेक्टेयर इलाके के वन काटे जाते हैं। अकेले भारत में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले जंगल कट रहे हैं। शहरीकरण का दबाव, बढ़ती आबादी और तेजी से विकास की भूख ने हमें हरी-भरी जिंदगी से वंचित कर दिया है।
जंगलों में पेड़ों को अवैध रूप से काटा जाता है। एक ओर सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है वहीँ दूसरी ओर लकड़ी के माफिया जंगलों में दिन रात पेड़ काट रहे है। ऐसा प्रतीत होता है कि लकड़ी माफिया पेड़ों को प्रतिशोध की भावना से काट कर उनका व्यापार करने का कोई मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते।
बढ़ता शहरीकरण घटते वन
शहरीकरण उस प्रक्रिया को कहा जाता है जिसमें एक समाज कृषि से औद्योगिकरण की ओर बढ़ने लगता है आरंभ में शहरीकरण से किसी भी देश को आर्थिक रूप से बहुत फायदा पहुंचता है किंतु जैसे-जैसे समय गुजरता है इसके नुकसान भी सामने आने लगते हैं I जब लोग अपने आर्थिक फायदे के बारे में अधिक सोचने लगते हैं और पर्यावरण के बारे में कम या फिर पर्यावरण के बारे में सोचना बंद कर देते हैं, तो इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है I शहरों में बसने के लोगों की इच्छा ने लोगों को पेड़ काटने पर इस हद तक विवश कर दिया है कि मानव जाति वनों के नाश के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है I लोगों का शहर बसाने की प्रक्रिया ही वनों के घटने का कारण है जिससे आज हम प्रदूषण जैसी भयानक समस्या का सामना कर रहे हैं