बढ़ते वायु प्रदूषण और धरती पर बढ़ती जनसंख्या के चलते,हमें भविष्य में शुद्ध हवा की कमी हो सकती है।एक भविष्य जिसमें जीने के लिए, ऑक्सीजन खरीदना पड़ सकता है।इस विचार को लेकर एक विज्ञापन बनाइए
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दुनिया भर में समय से पूर्व होने वाली मृत्यु के मामले में वायु प्रदूषण सबसे बड़े खतरों में से एक के रूप में उभरा है। मोटे अनुमान के तौर पर दुनिया भर में वायु प्रदूषण के चलते हर दिन 18,000 लोग मर जाते हैं। अन्य तथ्यों पर भी गौर कीजिए।
* एशिया में 65% मृत्यु और भारत में 25% मृत्यु के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है।
*अमेरिका में हर साल वायु प्रदूषण के कारण 50,000 लोग मर जाते हैं।
*चीन में हृदय रोग और वायु प्रदूषण से पैदा होने वाले फेफड़ों के कैंसर के कारण हर साल 300,000 मरते हैं।
*विश्व बैंक का अनुमान है कि वायु प्रदूषण के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को सालाना 225 अरब डॉलर का नुकसान पहुँचता है।
*विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदूषण के कारण हर साल भारत में 14 लाख लोगों की मौत हो जाती है। औसतन प्रदूषित हवा की वजह से हर मिनट दो भारतीय मारे जाते हैं।
*दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से कुछ शहर भारत में हैं। पटना और नई दिल्ली, पीएम 5 के स्तर के साथ जोखिम के मामले में दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर हैं।
* पी एम (पार्टिकुलेट मैटर) बहुत ही सूक्ष्म कण रूपी पदार्थ हैं जो वायु प्रदूषण में मौजूद रहते हैं। वे इतने छोटे हैं कि श्वसन के पथ के माध्यम से वे फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और अस्थमा जैसे श्वसन रोगों को पैदा करते हैं। इसके अलावा वे दिल से संबंधित बीमारियों को भी जन्म देते हैं।
*वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन मोटे तौर पर एक दूसरे से जुड़े होते हैं और उनसे एक साथ निपटा जाना चाहिए।
* एशिया में 65% मृत्यु और भारत में 25% मृत्यु के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है।
*अमेरिका में हर साल वायु प्रदूषण के कारण 50,000 लोग मर जाते हैं।
*चीन में हृदय रोग और वायु प्रदूषण से पैदा होने वाले फेफड़ों के कैंसर के कारण हर साल 300,000 मरते हैं।
*विश्व बैंक का अनुमान है कि वायु प्रदूषण के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को सालाना 225 अरब डॉलर का नुकसान पहुँचता है।
*विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदूषण के कारण हर साल भारत में 14 लाख लोगों की मौत हो जाती है। औसतन प्रदूषित हवा की वजह से हर मिनट दो भारतीय मारे जाते हैं।
*दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से कुछ शहर भारत में हैं। पटना और नई दिल्ली, पीएम 5 के स्तर के साथ जोखिम के मामले में दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर हैं।
* पी एम (पार्टिकुलेट मैटर) बहुत ही सूक्ष्म कण रूपी पदार्थ हैं जो वायु प्रदूषण में मौजूद रहते हैं। वे इतने छोटे हैं कि श्वसन के पथ के माध्यम से वे फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और अस्थमा जैसे श्वसन रोगों को पैदा करते हैं। इसके अलावा वे दिल से संबंधित बीमारियों को भी जन्म देते हैं।
*वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन मोटे तौर पर एक दूसरे से जुड़े होते हैं और उनसे एक साथ निपटा जाना चाहिए।
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