bura karne ka fal bura hi hota h
विषय पर लगभग 100 से 120 शब्दों में एक लघु कथा लिखिए।
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बहुत समय पहले की बात है, एक दर्जी था जो बहुत ही दयालु और जानवरों से बहुत अधिक प्यार करने वाला व्यक्ति था। जानवरों से बहुत अधिक प्यार करने वाले स्वभाव के कारण उसके वहां एक हाथी प्रतिदिन आया करता था। वह उस हाथी को प्रतिदिन खाने के लिए कुछ ना कुछ जरूर देता था। जबकि हाथी उसे इसके बदले कभी-कभी अपनी पीठ पर बैठाकर सैर कराने ले जाता था।
हाथी और दर्जी की कहानी
कुछ समय बाद दर्जी को एक दिन किसी दूसरे शहर जाना पड़ा। उसने अगले दिन अपनी दुकान पर अपने पुत्र को बैठने के लिए कहा। दर्जी के पुत्र ने इसके लिए हां कर दी और अगले दिन वह दुकान संभालने के लिए गया।
अगले दिन, प्रतिदिन की तरह इस बार भी हाथी दर्जी की दुकान पर आया। दर्जी का पुत्र बहुत ही शरारती प्रवृत्ति का था इसलिए उसने हाथी की सूंड में सुई चुभा दी। सुई चुभने के कारण हाथी को बहुत दर्द हुआ और वह वहां से भागकर तालाब की ओर चले गया।
तालाब में कुछ समय बिताने के बाद उसने दर्जी के पुत्र को सबक सिखाने के लिए तालाब का गंदा पानी अपनी सूंड में भर लिया और दर्जी की दुकान की ओर चल पड़ा।
दर्जी के पुत्र ने फिर से हाथी को अपनी दुकान की ओर आते देखा उसने अपने हाथ में फिर से सुई पकड़ ली और हाथी से फिर से शरारत करने की सोचने लगा।
जैसे ही हाथी दर्जी के पुत्र के निकट पहुंचा उसने तलाब का गंदा पानी दर्जी के पुत्र पर फेंक दिया जिससे दर्जी के पुत्र के कपड़े तो गंदे हुए ही और साथ में दुकान पर सिले हुए अन्य कपड़े भी गंदे हो गए।
दर्जी के पुत्र को सबक मिल चुका था और उसने अपने पिता के आने के बाद उनको सारी बात सच सच बता दी और फिर कभी ऐसा ना करने की कसम भी खाई।
Answer:
एक आदमी जाल में मछली पकड़ रहा था। मछली पकड़ते-पकड़ते उसने ताजी ताजी मछली पकड़ी। फिर उस आदमी के पास एक दूसरा आदमी आया। दूसरे आदमी ने उसके हाथ से मछली छिनली। और मछली जैसे ही उसके हाथ से छीनी उस आदमी ने बोला, “क्यों? यह मछलिया मैंने पकड़ी है।”
दूसरे आदमी ने कहा, “चलो यह सारी मछलिया मुझे दे दो।”आदमी ने अपनी शक्ति दिखाई और उस आदमी से सारी मछली छिनली और वहां से चला गया।एक मछली थोड़ा थोड़ा जिन्दा थी। उस मछली ने उसके ऊँगली में काट लिया। मछली छूट गई।
जख्म पड़ गई ऊँगली में। आदमी डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर ने ऊँगली में पट्टी कर दी। डॉक्टर ने आदमी से कहा,”आप तीन दिन बाद मेरे पास आइए फिर हम दुबारा जख्म को देखेंगे।” तीन दिन के बाद, दुबारा आदमी ने डॉक्टर को जख्म दिखाया। जख्म और ताजा हो चूका था। डॉक्टर ने कहा, “अब इस अंगूठे को काटना पड़ेगा अगर नहीं काटा तो जख्म और बढ़ जाएगा।” उस आदमी के पास और कोई उपाय भी नहीं था। डॉक्टर ने अंगूठे को काट दिया और फिर उसमे पट्टी लगा दिया।
आदमी तीन दिन बाद फिरसे डॉक्टर के पास गया। पट्टी खोली तो देखा जख्म और ताजा हो चुकी थी। डॉक्टर ने बोला, “इसे पूरा काटना पड़ेगा नहीं तो और ज्यादा जख्म बढ़ सकता है।” आदमी ने कहा, “ठीक है काट दीजिए मेरे पास कोई और रास्ता भी नहीं है।” डॉक्टर ने फिरसे काटा और फिरसे पट्टी कर दी और चार दिन बाद आने को कहा। चार दिन बाद वह फिरसे डॉक्टर के पास पहुंचा। पट्टी खोली गई लेकिन जख्म बिलकुल पहले जैसा ही था।
डॉक्टर ने फिरसे कहा, “अब तो कुछ ज्यादा काटना पड़ेगा नहीं तो पूरा हाथ चला जाएगा।आदमी के पास कोई और रास्ता नहीं था इसलिए डॉक्टर से काटने को कहा। डॉक्टर ने फिरसे काटा और पट्टी कर दी और फिरसे कहा की वह चार दिन बाद उनके पास आए।
चार दिन बाद, डॉक्टर ने देखा की जख्म भरा ही नहीं बिलकुल वैसे का वैसा ही है। डॉक्टर ने फिरसे आदमी से कहा, “बाजु काटनी पड़ेगी नहीं तो पुरे शरीर में जख्म फैल सकता है। फिर क्या बाजु भी काटनी पड़ी। फिर उसके किसी दोस्त ने उससे से कहा, ‘तुझसे कोई गलती तो नहीं हुई? यह क्या हो रहा है तुम्हारे साथ? सायद कुछ न कुछ गलती तुमने की होगी।”
आदमी ने कहा, “हाँ एक गलती तो हुई थी मुझसे। मैंने किसी के मछली पर हाथ मारा था। मेहनत उसकी थी लेकिन खाना मैं चाहता था।” आदमी के दोस्त ने उससे कहा, “भूल कर दी तुमने बहुत बड़ी। जाओ और उसके सामने अपनी नाक लगड़ो।” आदमी दौडा दौडा उस आदमी के पास गया जिसके पास से उसने मछली छीनी थी। इस आदमी ने उस आदमी से पूछा, “यह तुमने क्या किया। क्या तुम्हे कोई तंत्र-मंत्र विद्या आती है? क्या किया तुमने मेरे साथ कोई श्राप दिया, कोई बददुआ दी क्या किया?”
इसके सवाल पर उस आदमी ने कहा, “मैंने तो कुछ नहीं किया बस उपर देखा और कहा, “हे भगवान, किसी ने मुझे अपनी ताकत दिखाई है तू भी उसे अपनी ताकत दिखा दे।”
तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है की हमें कभी भी दुसरो के मेहनत पर अपना हक़ नहीं जाताना चाहिए और न ही दुसरो के साथ बुरा व्यबहार करा चाहिए क्यूंकि अगर हम दुसरो के साथ बुरा करने जाएंगे तो अंत में हमारे साथ ही बुरा होगा क्यूंकि बुरे कर्मो का फल हमेशा बुरा ही होता है।
“बुरे कर्मो का फल हमेशा बुरा ही होता है |