Hindi, asked by shaikhsameer83, 11 months ago

Buri sangati ka parinaam ​

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Answered by Anonymous
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बुरी संगति  का परिणाम

एक साधु को धन के प्रति बहुत मोह था.  उनके पास संचित धन के रूप में बीस सोने की मोहरें थी. उन मोहरों को साधु अपनी जटाओं के बीच छिपा कर रखते थे.

एक दिन एक धूर्त व्यक्ति ने साधु को जटाओं में मोहरें छिपा कर रखते हुए देख लिया. उसने साधु से मोहरें हड़पने के लिए  मन ही मन एक योजना बनाई.

व्यक्ति ने साधु के पास पहुँच कर विनम्र स्वर में कहा – ” महाराज, कल मेरे घर में पूजा है, पूजा तभी पूर्ण होगी, जब आप मेरे घर भोजन करें.” साधु ने सहर्ष सहमति दे दी.

अगले दिन  व्यक्ति ने बहुत प्रेम से साधु को भोजन कराया. फिर धूर्त व्यक्ति ने अपनी पत्नी से ऊंची आवाज में कहा -” बक्से में बीस सोने की मोहरें हैं. उनमें से दो मोहरें लाकर साधु जी को दक्षिणा स्वरूप दे दो.”

पत्नी ने बक्सा ही नहीं पूरे घर में ढूँढ लिया, मोहरें कहीं भी नहीं मिली. व्यक्ति ने गुस्से से जमीन आसमान एक कर दिया.

व्यक्ति बहुत क्रोधित हो कर बोला-

” मोहरें घर में नहीं मिलीं तब कहाँ गईं ? अब हम तीनों को अपनी-अपनी तलाशी देनी होगी.”  पति पत्नी ने अपने कपड़े झाड़ कर दिखा दिये कि मोहरें उन दोनों के पास नहीं हैं. साधु का झोला देखा वहां भी मोहरें नहीं थी.

“महाराज, क्षमा करें, अब आपकी जटाओं के बीच भी देख लेते हैं.”

बहुत से लोग शोर सुन कर आ गए थे और ये सब देख रहे थे. साधु को विवश हो कर अपनी जटाएं खोलनी पडीं. उनकी जूड़ी में छुपी बीस मोहरें बाहर आ गईं.

धूर्त व्यक्ति ने उनमें से दो मुहरें विनम्रता पूर्वक साधु को दक्षिणा में दे दी और शेष मोहरें अपने पास रख लीं.

ज़िन्दगी की सीख:

                 धूर्त व्यक्तियों की संगत में धन और मान दोनों की हानि होती है.

Answered by shaikharhaan576
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