Buri sangati par Kahani likho in Hindi
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एक शहर में बहुत अमीर रहता है उसके पास इतना धन था की उसे किसी प्रकार की चिंता नही थी लेकिन उसका एकलौता लड़का अपने पिता के धन पर खूब ऐश करता था जिसके कारण उसके बहुत सारे ऐसे दोस्त बन गये थे जिनकी बुरी आदतों से उस अमीर का लड़का भी घिर गया था उसके अंदर भी तमाम ऐसी बुरी आदतों का विकास हो गया था जिससे उसका अमीर पिता बहुत चिंतित रहने लगा था
अब वह अमीर आदमी अपने बेटे की आदतों को सुधारने के लिए हमेसा चिंतित रहने लगा था उसने हर प्रकार से समझाने की कोशिश किया पर उसका बेटा अपने पिता की बातो को ध्यान ही नही देता था
तो ऐसे में परेशान होकर उसके पिता ने उसे एक सबक के जरिये संगति के असर के फायदे और नुकसान के बारे में सिखाना चाहा इसके लिए वह अमीर आदमी अपने बेटे के साथ बाजार गया और वहा से कुछ सेव ख़रीदे और उन्ही सेव के साथ एक सड़ा हुआ सेव खरीद लिया फिर अपे बेटे के साथ घर लौटने के बाद सभी सेव को अलमारी में रखने को कहा पिता की आज्ञा पाकर बेटे ने सभी सेव को एक साथ अलमारी में रख दिया
फिर कुछ दिन बाद पिता ने अपने बेटे से अलमारी में से सभी सेव लाने को कहा फिर पिता की आज्ञा पाकर वह बेटा अलमारी में से सेव लेने गया और जैसे ही अलमारी खोला, तो देखा की सभी सेव सड़ चुके थे जिसे देखकर वह बहुत ही हैरान हुआ और सेव के सड़े होने की बात अपने पिता को बताया
अपने बेटे की बात सुनकर पिता बोला तो देखा बेटा हमने उस दिन बाजार में अच्छे सेव के साथ एक सड़ा हुआ भी सेव ख़रीदा था जो की अच्छे सेव के साथ रखने पर सड़े सेव के संगत से सभी अच्छे सेव भी ख़राब हो चुके है











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यही बात तुम्हारे साथ भी फिट बैठती है यदि तुम बुरे दोस्तों की संगति में रहते हो तो तुम्हारी सोच और आदते भी वैसे ही हो जायेगी फिर चाहकर भी तुम अच्छे इन्सान नही बन सकते हो.
पिता की बात सुनकर अब उसको समझ में आ गया था की कुसंगति के प्रभाव से अच्छा आदमी भी बुरा और सत्संगति की प्रभाव से बुरा इन्सान भी अच्छा बन सकता है और फिर उसने अपने पिता से अपने किये हुए गलती पर माफ़ी मांगकर आगे से गलत लोगो की संगति छोड़ने का वचन दिया
कहानी से शिक्षा –
वो कहा गया है न जैसी संगत वैसी ही रंगत यानी आप जैसे लोगो के साथ रहेगे वैसा ही बनेगे तो आपको भी अच्छा बनना है तो अच्छे लोगो के साथ अपनी संगति बनाये क्युकी अच्छे लोगो की सलाह (Advice) आपको अच्छा ही बनाती है
Explanation:
समीर अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था | उसके माता-पिता उससे बहुत प्यार करते थे | उन्होंने उसके परवरिश में कोई कमी नहीं की | उसे जो भी चाहिए होता था , उसके मांगने से पहले ही उसे मिल जाता था | समीर की जिंदगी बड़े ही आराम से और मजे में कट रही थी | ना ही उसे किसी चीज की चिंता थी और ना ही वह मेहनत करना जानता था | पर फिर भी वह व्यवहार से काफी अच्छा था और इसीलिए उसे सब पसंद भी करते थे | उसके माता-पिता हमेशा ही उसे अच्छी परवरिश देना चाहते थे , ताकि वह बड़े होकर एक आदर्श इंसान बन सके। पर बड़े होने के बाद उनके माता-पिता का प्रभाव समीर पर कम होता जा रहा था और उसके दोस्तों का प्रभाव उस पर बढ़ता जा रहा था।
जैसे-जैसे समीर बड़ा होता गया , उसके नए-नए दोस्त बनते गए और उसे बुरे लोगों की संगत लग गई | बुरे दोस्तों के साथ की वजह से समीर का व्यवहार खराब होने लगा था | उसे गलत आदतों की लत लग गई थी और वह एक बुरा इंसान बनता जा रहा था | समीर के पिताजी को अब उसकी चिंता सताने लगी थी | वह अपने बिगड़ैल बेटे को सुधारना चाहते थे , इसके लिए उन्होंने एक तरकीब निकाली |
समीर के पिता बाजार जाकर सेब से भरी एक बड़ी टोकरी लेकर आते हैं। उस टोकरी के सारे सेब बहुत ही ताजा थे , बस एक को छोड़कर जो कि सड़ा हुआ था। अब वे समीर को बुलाकर उससे कहते हैं , कि यह सड़ा हुआ सेब तुम बाकी सारे ताजा सेब के साथ रख दो | समीर को समझ नहीं आता है , कि उसके पिताजी उसे ऐसा करने के लिए क्यों कह रहे हैं पर फिर भी समीर अपने पिता का कहना मान कर बिल्कुल ऐसा ही करता है |
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कुछ दिनों बाद वे समीर से वही सेव की टोकरी मंगाते हैं और वह उसे सारे सेब दिखाते हैं। समीर यह देखकर आश्चर्य हो जाता है , कि सारे के सारे सेब खराब हो गए हैं। वह अपने पिताजी से पूछता है , कि ऐसा क्यों हुआ ? समीर के पिताजी जवाब देते हैं , कि बेटा जिस तरीके से एक खराब सेब कुछ ही दिनों में बाकी सारे सेबो को खराब कर सकता है। उसी तरह एक बुरी संगत और एक बुरा दोस्त आपका पूरा जीवन खराब कर सकता है | हमें अपनी संगति सोच समझकर चुनना चाहिए | तुम्हें अगर एक अच्छा इंसान बनना है , तो बुरे लोगों का साथ छोड़ दो |
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समीर को अपने पिता की सारी बात भली-भांति समझ आ जाती है | उसके बाद वह बुरे लोगों का साथ छोड़कर सिर्फ अच्छे लोगों से ही दोस्ती करता है , और धीरे-धीरे वह एक अच्छा इंसान बन जाता है |