bus Ko dekhkar lekhak ke man mein kaisa bhav Munda
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लेखक के मन में बस के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा के भाव आया क्योकि वह लोगों का हित चाहता था। क्योंकि वह केवल अपने लाभ हेतु बस चला रहा था। ... क्योंकि वह बस की दशा के लिए व लोगों की परेशानी हेतु पछता रहा था।
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