buzurg saman ya samman essay in hindi
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बुजुर्गो को समान कहना बिल्कुल ही नाजायज है। जिस बुजुर्ग के कारण हमारा अस्तित्व है उन्हीं को आज के लोग समान या बोझ समझने लगे हैं।
अगर हमारे बुजुर्ग ना होते तो हमारा अस्तित्व नहीं होता। वो हमारे परिवार के सबसे अहम हिस्सा है।
उन्हें कभी भी समान की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। बुजुर्ग कभी भी हमारे लिए बोझ नहीं हो सकते हैं।
बुजुर्ग का होना तो हमारे लिए सम्मान की बात है। जिस भी घर में बुजुर्गों का सम्मान होता है वो परिवार में संस्कार होता है।
हमारे बुजुर्ग हमेशा ही हमारा भला चाहते हैं। उनके अनुभव हमारे कठिन वक्त में हमेशा काम आते हैं। बुजुर्गों के सलाह को हमेशा मानना चाहिए।
हो सकता है पीढ़ी के अंतर से हमारा और हमारे बुजुर्गो के सोच में अंतर हो लेकिन हमेशा ही बुजुर्गो को सम्मान की भावना से ही देखना चाहिए।
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