चीफ की कहानी में मध्यवर्गीय परिवार का जीवन वर्णन कीजिए उदाहरण सहित
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" चीफ की दावत " कहानी में माध्यम वर्गीय परिवार के जीवन का वर्णन निम्न प्रकार से किया गया है।
- "चीफ की दावत " भीष्म साहनी की लिखी कहानी है।
- शामनाथ एक मध्य वर्गीय कर्मचारी है। अपनी पदोन्नति के लिए वह चीफ को दावत पर बुलाता है।
- उसे अपनी अनपढ़ व बूढ़ी मां को चीफ से मिलाने में शरम महसूस होती है इसलिए मां को कमरे में बंद कर देता है, मां को अकेलापन लगता है इसलिए वह कमरे से बाहर आकर बगीचे में कुर्सी पर ही सो जाती है ,चीफ के आने पर वह चीफ के सामने ही कुर्सी से गिर जाती है।
- चीफ मां से खुशी से मिलता है,उन्हें गाना गाने के लिए कहता है, मां की फुलकारी की हुई चादर चीफ को पसंद आती है।
- शामनाथ स्वार्थीपन की हद तब करता है जब उसकी मां कहती है कि उसे हरिद्वार भेज दो तब वह कहता है कि चीफ ने उसकी पदोन्नति का वादा किया है व उसने भी चीफ से कहा है कि मां फुलकारी वाली नई चादर बना देगी, यदि तुम हरिद्वार चली गई तो चादर कौन बनाएगा, क्या तुम मेरी तरक्की नहीं चाहती।
‘चीफ की दावत’ कहानी मध्यम वर्गीय परिवार के सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों में हो रहे ह्रास पर केंद्रित है। इस कहानी के माध्यम से यह बताया गया है कि मध्यमवर्गीय परिवारों में जीवन में आगे निकलने की होड़ में सामाजिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। एक बेटा स्वयं को समाज में प्रतिष्ठित दिखाने के लिए अपनी बूढ़ी माँ का तिरस्कार करने से भी नहीं चूकता।
बेटा पढ़-लिखकर बड़ा अफसर बन गया है और उसे अपनी ग्रामीण अनपढ़ माँ अपनी प्रतिष्ठा में धब्बे की तरह नजर आती है। जिस बूढ़ी माँ ने से किसी तरह बेटे को पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाया, वही बेटा बुढ़ापे में अपनी माँ को बोझ समझने लगता है।
यह कहानी मध्यम वर्ग की उन विसंगतियों को उभारती है, जिनमें रिश्ते-नाते के केवल स्वार्थ पूर्ति के माध्यम रह गये हैं। श्यामनाथ नाम का अफसर अपने चीफ घर पर दावत के लिए बुलाता है ताकि उसका प्रमोशन हो सके। लेकिन वो नहीं चाहता कि उसकी बूढ़ी ग्रामीणा चीफ के सामने आए। क्योंकि माँ की ग्रामीण वेषभूषा में उसे शर्मिंदगी महसूस होती है। उसे लगता है कि चीफ के सामने यदि उसकी माँ आ गई तो उसकी बेज्जती हो जाएगी।वह अपनी माँ को चीफ के सामने न आने को कहता है, लेकिन हालात कुछ ऐसे बन जाते हैं कि माँ चीफ के सामने आ ही जाती है। चीफ माँ की बनी फुलकारी से प्रभावित होता है, और अपने लिये भी ऐसी फुलकारी देने को कहता है। अब अफसर बेटे को अपनी अच्छी लगने लगती है, क्योंकि उसे अपनी माँ के हाथों से चीफ के लिये फुलकारी जो बनवानी है।
इस तरह यह कहानी एक स्वार्थी बैठे के चरित्र को बताती है जो अपने स्वार्थ के लिए अपनी माँ का उपयोग करता है।