चीफ की दावत किस विधा की रचना है
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समीक्षा: मध्यवर्गीय जीवन जीवन की दास्तान 'चीफ की दावत'/ दिव्या भीष्म साहनी हिंदी साहित्य के प्रगतिशील लेखकों की परंपरा के समृद्ध लेखक हैं उन्होंने अपने साहित्यिक लेखन जीवन का आरंभ कहानी विधा से ही किया था। प्रेमचंद का गहरा प्रभाव होने के कारण इनकी वैचारिकी प्रारंभ से ही समाज केंद्रित तथा यथार्थ परक रही है ।
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Concept:
चीफ की दावत के लेखक का नाम भीष्म साहनी है| उनका जन्म 8 अगस्त, 1915 ई. मे हुआ था| उनकी मुख्य रचनाएँ 'मेरी प्रिय कहानियाँ', 'झरोखे', 'तमस', 'बसन्ती', 'मायादास की माड़ी', 'हानुस', 'कबीरा खड़ा बाज़ार में', 'भाग्य रेखा', 'पहला पाठ', 'भटकती राख' आदि। थी|
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चीफ की दावत किस विधा की रचना है
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चीफ की दावत किस विधा की रचना है
Explantion:
चीफ की दावत के लेखक "भीष्म साहनी" हैं। चीफ की दावत की विधा का प्रकार "कहानी" है । इस कहानी में उन्होंने मध्यमवर्गीय समाज के खोखलेपन तथा दिखावटीपन को दर्शाया है। उनके द्वारा रचित कहानी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। जितनी उस समय थी। भीष्म साहनी ने शामनाथ के माध्यम से शिक्षित युवा पीढ़ी पर करारा व्यंग्य किया है। आज के शिक्षित युवा वर्ग अपने माता पिता को बोझ समझते हैं। व्यक्ति अपनी सुख सुविधा के लिए अपने माता पिता को छोड़ देते हैं। वे यह तक भूल जाते हैं कि आज जिस समाज मे तुम रह रहे हो उनकी बदौलत है। अपने बच्चो को काबिल बनाने के लिए माता पिता अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं। उनका पूरा जीवन अपने बच्चों की खुशी के लिए बलिदान में व्यतीत हो जाता है। 'चीफ की दावत' एक ऐसी ही कहानी है, जिसमें स्वार्थी बेटे शामनाथ को अपनी विधवा बूढ़ी माँ का बलिदान फर्ज ही नजर आता है।
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