Hindi, asked by rathoremukul23, 2 months ago

चीफ की दावत कहानी सामाजिक मूल्यों के हंस को देखा अंतरित करती इस कथन की विवेचना कीजिए​

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Answered by naveenpatidar699
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उत्तर- भीष्म साहनी की बहुचर्चित कहानी 'चीफ की दावत' में जख्म और करुणा के कई पहलू चित्रित किये गये हैं। परिवार में बुजुर्गों के प्रति किये जाने वाले स्वार्थपूर्ण व्यवहार और नई पीढ़ी की हृदयहीनता का सुंदर चित्रण है । मध्यमवर्गीय परिवारों में बुजुर्गों की स्थिति अत्यन्त दयनीय है। आज की आपाधापी वाले युग में उनकी संतानें संघर्ष कर रही हैं, वे अपने को उच्च वर्ग में लाने के लिये माता-पिता को भी सीढ़ी के समान इस्तेमाल करते हैं। बुजुर्गों को उपेक्षित जीवन जीना पड़ता है। उनकी विडम्बना ये है कि बच्चों को कुछ बोल भी नहीं सकते, केवल बच्चों की कमियों को अनदेखा कर सकते हैं। किसी से इस घुटन को बताते नहीं कि कहीं बच्चों की छवि कम न हो जाये। पाठ के अनुसार मध्यमवर्गीय परिवारों की सबसे बड़ी विडम्बना है दिखावा।

घर पर किसी भी प्रकार के आयोजन होने पर बुजुर्गों को भी बच्चों के मुताबिक दिखावे में भाग लेना पड़ता है, उनका साथ देना पड़ता है जैसे शामनाथ की माँ दावत में बेटे के कहे अनुसार कपड़े पहनती हैं। शामनाथ माँ को किसी पड़ोस की सहेली के पास भेजना चाहता है ताकि चीफ व अन्य मित्र माँ से न मिल सके इसी प्रकार परिवारों में भी बच्चे बुजुर्गों को इस्तेमाल करते हैं और उनकी उपयोगिता समाप्त होने पर घर का कोई एक कमरा या वृद्धाश्रम उनका ठिकाना बना देते हैं । वे केवल अपने बच्चों व अपने भविष्य की चिन्ता करते हैं। मध्यमवर्गीय परिवारों में बुजुर्ग की स्थिति अत्यन्त दारुण है, वे उपेक्षित जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। नई पीढ़ी की इमारतों की नींव और छत दोनों कमजोर हैं, जिस पर मजबूत भवन की उम्मीद मात्र कल्पना प्रतीत होती है। भीष्म साहनी की इस कहानी का आधार समष्टिगत चिंतन है। कहानी का मूल कथ्य मध्यमवर्ग, बुजुर्गों की कुण्ठा, पीड़ा, बिखराव, रूढ़ियाँ व झूठी मान्यताओं पर आधारित है।

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