चीफ की दावत ' कहानी सामाजिक मूल्यों के हांस को रेखांकित करती है । इस कथन की विवेचना कीजिए
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➲ ‘चीफ की दावत’ कहानी भीष्म साहनी द्वारा लिखी गई कहानी है, जो सामाजिक मूल्यों के ह्रास की ओर रेखांकित करती है। यह कहानी एक ऐसे माँ और बेटे के बीच के संबंधों की कहानी है, जिसमें बेटा अपनी बूढ़ी माँ को अपने यहां बोझ के समान समझता है। माँ किसी तरह अपने बेटों को पाल पोस कर बड़ा करती है, लेकिन वही बेटा अफसर बन जाने पर बुढ़ापे में माँ को बोझ समझने लगता है।
शामनाथ नाम का अफसर अपने प्रमोशन के लिए अपने चीफ को अपने घर पर दावत के लिए बुलाता है, लेकिन उसकी माँ बूढ़ी माँ चीफ के सामने ना पड़ जाए इसलिये वो अपनी माँ को छुपाने का उपाय सोचने लगता है। उसे लगता है कि उसकी बूढ़ी ग्रामीण माँ अगर उसके चीफ के सामने आएगी तो उसका बेइज्जती हो जाएगी।
लेकिन फिर भी उसकी बूढ़ी माँ चीफ के सामने पड़ जाती है और चीफ माँ की बनाई हुई फूलकारी को देखकर अपने लिए फुलकारी बनाने का आग्रह करता है। माँ अपने बेटे की प्रमोशन के लिए फुलकारी बनाने को राजी हो जाती है। तब शामनाथ अपनी माँ की चापलूसी करने लगता है।
यह कहानी एक ऐसे स्वार्थी बेटे के चरित्र को बताती है जो अपनी माँ को केवल अपने स्वार्थ के लिए उपयोग करता है, नहीं तो उसकी बूढ़ी माँ उसके लिए बोझ है। ये हमारे सामाजिक मूल्यों का ह्रास है।
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