चाह गई चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु न चाहिए, वे साहन के साह।ka arth
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चाह गई चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु न चाहिए, वे साहन के साह।
रहीम जी कहते है:
जिन्हें कुछ नहीं चाहिए वह राजाओं के राजा हैं। क्योंकि उन्हें ना तो किसी चीज की चाह है, ना ही चिन्ता और मन तो बिल्कुल बेपरवाह है। सरल शब्दों में समझाना चाहते है, की जो मनुष्य जीवन संतुष्ट है , उसे कुछ नहीं चाहिए | उसे किसी भी चीज़ की चाह नहीं है, उसे किसी भी चीज़ और बात की चिन्ता नहीं है | उस का मन बिल्कुल बेपरवाह है | ऐसा मनुष्य जिन्हें कुछ नहीं चाहिए वह अपने आप में ही राजा कहलाता है|
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यों रहीम सुख होत है, पर उपकारी के संग।
बाँटनवारे को लगे, ज्यों मेहँदी को रंग।
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Answer:
जिन्हें कुछ नहीं चाहिए वो राजाओं के राजा हैं। क्योंकि उन्हें ना तो किसी चीज की चाह है, ना ही चिंता और मन तो बिल्कुल बेपरवाह है।
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