Hindi, asked by avimahthaofficial, 8 months ago

चाह गई चितां मिटी मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछ न चाहिए. वे सहन के साह।।
जे गरीब परहित करें, ते रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग।
रहिमन अंडे नरन सौं, बैर भली न प्रीति।
काटे चाटे स्वान के. दोऊ भाँते विपरीत।।

Answers

Answered by rajanibala69
7

Explanation:

1

चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।

जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह।।

अर्थ

जिन्हें कुछ नहीं चाहिए वो राजाओं के राजा हैं। क्योंकि उन्हें ना तो किसी चीज की चाह है, ना ही चिंता और मन तो बिल्कुल बेपरवाह है।

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