चिह्न (चिह्न), बांधव (बान्धव), विपत्ति (विपत्ति), सांप्रदायिक (साम्प्रदायिक), भौति
2. बताइए
क. हमें जीने की कला किससे सीखनी चाहिए?
Answers
Answer:सफलता और खुशी जीवन के दो पूरक हैं और अगर इन दोनों में से कोई एक भी न रहे तो निश्चित ही दूसरे का मिलना भी मुमकिन नहीं। पर यह भी संभव नहीं कि हर कदम पर आपको सफलता ही हाथ लगे या हर वक्त आप खुश रहें। ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में भी जीवन में संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है, ताकि नई कामयाबी की तरफ बढ़ा जा सके। किस तरह एक छात्र और एक पेशेवर अपनी जिंदगी में यह संतुलन कायम कर सकते हैं, आइए जानते हैं।
जिंदगी तो हम सभी जी रहे हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि हम सभी जिंदगी का भरपूर मजा भी ले रहे हों। खासतौर पर अपने छात्र और नौकरी-पेशे के समय में। कोई छोटी-सी नाकामयाबी या असफलता हमें इतनी ठेस पहुंचा देती है कि हमें जिंदगी जीने का कोई उद्देश्य ही नजर नहीं आता और कभी-कभी एक सफलता हमें सातवें आसमान पर पहुंचा देती है, जिस वजह से हमें जमीन तक दिखाई नहीं देती। कामयाबी और नाकामयाबी के बीच भी जिंदगी हमसे बहुत कुछ कहती है, हमें बहुत कुछ सिखाती है।
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