चाह नहीं ------- माला में,बिंध प्यारी को ललचाऊँ।
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सम्राट
प्रेमी
पुष्प
देव
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ग्राम-छुलकारी, पोस्ट-पसला, जिला-अनूपपुर (मध्यप्रदेश) से भागवती केवट एक कविता सुना रही हैं: चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ- चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ- चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ- चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ- मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक- मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक...
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देव is the correct answer
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