चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर, हे हरि, डाला जाऊँ,
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ।
तनमाली please explain this to me
Answers
इस कविता का नाम पुष्प की अभिलाषा है।
इस कविता में पुश की इच्छाओं का वर्णन किया गया है।
इसके अनुसार पुष्प कहना चाहता है कि वह नही चाहता है की सम्राटों के शव पर नही चढ़ना चाहता है और न तो वह भगवान के सर पर चढ़ना चाहता है।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियां 'माखनलाल चतुर्वेदी' द्वारा रचित कविता 'पुष्प की अभिलाषा' नामक शीर्षक से ली गई हैं।
व्याख्या:
पुष्प की अभिलाषा कविता के माध्यम से माखनलाल चतुर्वेदी ने एक फूल की चाह को अभिव्यक्त किया है कि किस प्रकार वह ना तो मराठों के शब्द पर चढ़कर सम्मान पाना चाहता है, न हीं किसी सुंदर स्त्री की चोटी में गूंथे जाने की आशा रखता है, ना हीं वह यह चाहता है कि उसे भगवान के चरणों में अर्पित कर दिया जाए, ना ही वह प्रेमियों के प्रेम का प्रतीक बनने की आशा करता है। बल्कि उस देशभक्त फूल की छोटी सी अभिलाषा यह है कि उसे उस मार्ग पर फेंक दिया जाए जिस रास्ते से होते हुए हमारे वीर जवान अपने प्राणों को अपने देश पर बलिदान करने के लिए निकल रहे हों।
इस प्रकार 'पुष्प की अभिलाषा' कविता में देशभक्ति की भावना परिलक्षित होती है।
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