Hindi, asked by legendary36, 1 year ago

"चाहति हुती गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही" पंक्ति का भाव सूरदास के पद के आधार पर प्रसंग सहित स्पष्ट काजिए।

Answers

Answered by prahate
7

गोपिया श्रीकृष्ण से ही अपने प्रेम के प्रतिकार रूप ब्रज अपने ही गुहार लगा रही है और उधर  से योगधारा बह गयी जो अनर्थ है।

Answered by sadafsiddqui
4

"चाहति हुती गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही"

गोपिया श्रीकृष्ण से ही अपने प्रेम के प्रतिकार रूप ब्रज अपने ही गुहार लगा रही है और उधर  से योगधारा बह गयी जो अनर्थ है।

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