(च) जूझ कहानी में आनंदा की माँ के कथन “अब तू ही बता, मैं क्या करूँ' में किस भाव का
चित्रण हुआ है?
(1) आनंदा को पढ़ाई करने से रोकने का
(3) अपनी अज्ञानता से परिचित कराने का
(छ) 'अतीत में दबे पाँव पात में
(2) अपनी असमर्थता का बोध कराने का
(4) आनंदा को स्वयं उपाय खोजने देने का
Answers
Answer:
जूझ कहानी में आनंदा की माँ के कथन “अब तू ही बता, मैं क्या करूँ' में किस भाव का चित्रण हुआ है?
- अपनी असमर्थता का बोध कराने का
Answer:
इसका सही उत्तर होगा
अपनी असमर्थता का बोध कराने का
माँ के मन मे विवशता का भाव है l
Explanation:
दिया गया वाक्य “अब तू ही बता, मैं का करूँ ?" एक माँ की विवशता को दिखाया है I
माँ उससे पूछने को विवश हो गई है कि अब उसे आगे क्या करना चाहिए l
विवशता सामान्यतः ऐसी स्थिति होती है जिसमें मनुष्य लाचार हो जाता है और चाह कर भी किसी कार्य को नहीं कर पाता है या उसे करने को मजबूर हो जाता है l
जूझ कहानी:
कथा के मौलिक स्वर के रूप में, यह शब्द हर जगह पाया जा सकता है। एक किशोर द्वारा देखे और अनुभव किए गए ग्रामीण जीवन के किरकिरा परिवेश और यथार्थवाद को भी सटीक रूप से कैप्चर किया गया है। शिक्षा की तलाश में नायक को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
‘जूझ’ कहानी लेखक आनंदा की माँ ने लेखक के पाठशाला जाने में अहम मदद की।
जब लेखक के पिता ने लेखक को स्कूल जाने से रोक दिया और वे लेखक को किसी भी तरह से स्कूल भेजने को तैयार नहीं हुए तो लेखक बहुत परेशान रहने लगा। उसने अपने दिल की व्यथा अपनी मां को बताई। मां बेटे की परेशानी समझती थी। इसलिए उन्होंने गांव के एक प्रभावशाली व्यक्ति दत्ताजी राव की मदद ली।
दत्ताजी राव की मदद पाने के लिए लेखक और उसकी माँ को थोड़ा झूठ बोलना पड़ा और पिता के बारे में झूठी शिकायत करनी पड़ी। दत्ताजी राव ने लेखक के पिता को बुलाया, उन्हें डांटा और अपने बेटे को स्कूल भेजने के लिए राजी किया। लेखक के पिता कुछ शर्तों के आधार पर लेखक को स्कूल भेजने के लिए तैयार हो गए।
यदि लेखक की माँ ने झूठ न बोला होता तो शायद दत्ता जी राव लेखक की सहायता न करते और उसके पिता को समझाते नहीं। कुल मिलाकर लेखक और लेखक की माँ द्वारा झूठ बोलना लेखक के हित में गया और लेखक के लिए स्कूल जाना संभव हो गया।
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