Math, asked by divyanshughadei136, 15 days ago

चाजीन किसे कहते हैं? पाठ में चाजीन ने कौन - सी क्रियाएँ पूरी की टी-सेरेमनी में चाय पीने वाले के अनुभवों को अपने शव्दों में लिखो।

Answers

Answered by 31aliahmedzahidshaik
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Answer:

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Question 1:

शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?

ANSWER:

शुद्ध सोने में थोड़ा-सा ताँबा मिलाकर गिन्नी बनता है। ऐसा करने से सोना चमकता है।

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Question 2:

प्रेक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?

ANSWER:

जो लोग आदर्श बनते हैं और व्यवहार के समय उन्हीं आर्दशों को तोड़ मरोड़ कर अवसर का लाभ उठाते हैं, उन्हें प्रेक्टिकल आइडियालिस्ट कहते हैं।

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Question 3:

पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?

ANSWER:

शुद्ध आदर्श का अर्थ है जिसमें लाभ हानि सोचने की गुजांइश नहीं होती है।

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Question 4:

लेखक ने जापानियों के दिमाग में 'स्पीड' का इंजन लगने की बात क्यों कही है?

ANSWER:

जापानी लोग उन्नति की होड़ में सबसे आगे हैं। इसलिए लेखक ने जापानियों के दिमाग में 'स्पीड' का इंजन लगने की बात कही है।

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Question 5:

जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?

ANSWER:

जापानी में चाय पीने की विधि, जिसे टी सेरेमनी कहा गया है, चा-नो-यू कहते हैं।

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Question 6:

जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?

ANSWER:

जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, वहाँ की सजावट पारम्परिक होती है। वहाँ अत्यन्त शांति और गरीमा के साथ चाय पिलाई जाती है। शांति उस स्थान की मुख्य विशेषता है।

Answered by sharvariumate
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Step-by-step explanation:

प्रश्न 1.

शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?

उत्तर-

शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग होता है, क्योंकि गिन्नी के सोने में थोड़ा-सा ताँबा मिलाया जाता है इसलिए | वह ज्यादा चमकता है और शुद्ध सोने से मज़बूत भी होता है। शुद्ध सोने में किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होती।

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प्रश्न 2.

प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?

उत्तर-

प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट उन्हें कहते हैं जो आदर्शों को व्यवहारिकता के साथ प्रस्तुत करते हैं। इनका समाज पर गलत प्रभाव पड़ता है क्योंकि ये कई बार आदर्शों से पूरी तरह हट जाते हैं और केवल अपने हानि-लाभ के बारे में सोचते हैं। ऐसे में समाज का स्तर गिर जाता है।

प्रश्न 3.

पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?

उत्तर-

पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श वे हैं, जिनमें व्यावहारिकता का कोई स्थान न हो। केवल शुद्ध आदर्शों को महत्त्व दिया जाए। शुद्ध सोने में ताँबे का मिश्रण व्यावहारिकता है, तो इसके विपरीत शुद्ध सोना शुद्ध आदर्श है।

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