चोकर के विषय में लोगों को अपने व्यवहार में क्या परिवर्तन करने की आवश्याक्ता है?
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चोकर गेहूं के अंदरूनी सुनहरे छिलके को कहते हैं। ये छिलका तैया गेहूं को पिसवाने पर आटे के साथ मिला हुआ आता है, व छानने पर अलग किया जा सकता है। इसमें आहारीय रेशा और आहारीय जस्ता उपस्थित होता है।
गेंहूँ के छिलके को चोकर कहते है। इसमे सब्जियों के फुजला (फोक) से भी अधिक रोग प्रतिरोधक शक्ति होती है, साथ ही लोह, कैल्शियम और विटामिन 'बी' पर्याप्त मात्र में पाए जाते है जो क्रमश: रक्त बढ़ने, हड्डियों को मजबूत करने और भूख बढ़ने में सहायक सिद्ध होते है। पुराने समय में अनाज घर में ही पिसा जाता था, हाथ कि चक्की से हाथ से पिसे गए अनाज में चोकर ज्यादा रहता था लेकिन आजकल बिजली की चक्की से पिसे अनाज का आटा उपयोग में लिया जाता है, जो बहुत बारीक़ पिसा जाता है, उसमे चोकर नाम मात्र होता है उसको भी बारीक़ छाननी से निकाल फेंक दिया जाता है, बहुत महीन बारीक़ आटे का प्रयोग करने से कब्ज का होना सामान्य बात है जब तक चोकर रहित आटे का उपयोग किया जाता रहेगा तब तक कब्ज से छुटकारा मिलना मुश्किल है।जब हम किसी और से इस बात की आशा करते हैं कि वह अच्छा आचरण करें, तो हमें भी अपने बर्ताव का ध्यान रखना चाहिए, यह जरूरी नहीं कि मुक्के का जवाब मुक्का ही हो। अच्छा आचरण वह है जिसमें बुरी स्थितियों को अच्छे एवं सुन्दर तरीके से पेश किया जाए। दूसरों से हम कैसा व्यवहार करते हैं चाहे स्थिति विपरीत ही क्यों न हो, हमें उत्तेजित या शान्त, भ्रष्ट या ईमानदार, बर्बर या सभ्य बना सकता है। अच्छी आदतें, अच्छे मित्रों की तरह होती हैं जो आपको सुखद स्थिति में ले जाते हैं, यदि आपका आचरण अच्छा है तो यह तुरन्त दृष्टिगोचर हो जाता है। सभ्य होने का कोई मूल्य नहीं चुकाना पड़ता अलबत्ता यह आपको कुछ प्राप्त करवाता है। यह बात शंंका से परे है कि हम सभी में किसी न किसी गुण की कमी होती है, और इसी कारण ज्ञान का गुणगान करते हैं और इसके महत्व को समझते हैं।
सदगुणों की सबसे मौलिक बात जो हम सभी नहीं अपनाते हैं वह है इसका निरन्तर अभ्यास करना। इन सदगुणों से ही हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर चीज सही ढंग से हो और हमें दूसरों की राय भी मिले। दयालुता एवं दूसरों के बारे में सोचने जैसे सदगुणों को छोड़कर उस चीज में लगातार गिरावट आ रही है। इसका मुख्य कारण है कि लोग तीव्र जीवन जी रहे हैं। इसे प्रतिदिन सड़क पर चलते हुए महसूस किया जा सकता है जहां लोग अत्यंत तीव्र गति से गाड़ियां चलाते हैं। अच्छी आदतें समय की बर्बादी नहीं है। यह एक बेहतरीन निवेश है जिसका दूसरों पर असर होता है।
असभ्य व्यवहार प्रत्येक को नापसंद होता है। किसी के प्रति हमारी पहली राय उसके आचरण पर ही आधारित होती है। अच्छी आदतें अच्छे रिश्तों को कायम करने के आधार हैं। हमारे समाज में संपर्क का खासा महत्व है और आप तभी सम्मानित किए जाएंगे जब आप दूसरों के प्रति सम्मान व्यक्त करेंगे। यह एक पुराना मगर अत्यन्त उपयोगी सिद्धान्त है आपको जैसा व्यवहार चाहिए वैसा ही व्यवहार आप दूसरों के प्रति करें। आप केवल इस बात में न उलझे रहें कि आप के साथ अच्छा व्यवहार हो और दायित्व भूल जाएं।
दूसरों के आचरण पर ध्यान न देते हुए यदि आप सदैव सबसे अच्छा व्यवहार करते हैं तो निश्चय ही आपकी अलग पहचान होगी। उसके आधार पर दूसरों को चाहे वह आपका होने वाला साथी हो, सीनियर हो या फिर बिलकुल अनजान व्यक्ति, सबको प्रभावित कर सकेंगे।