Hindi, asked by shamil43, 7 months ago

चाकर रहस्यूँ, बाग लगास्यूँ नित उठ
दरसन पास्यूँ । का आशय है----​

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Answered by shishir303
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चाकर रहस्यूँ, बाग लगास्यूँ नित उठ  दरसन पास्यूँ ।

इन पंक्तियों का आशय यह है कि मीराबाई कृष्ण की भक्ति में लीन होकर चाहती हैं कि उनको श्री कृष्ण के यहाँ यदि सेवक बनकर उनकी सेवा करने का अवसर मिले तो वह इसके लिए सहर्ष तैयार हैं। वह श्रीकृष्ण के बगीचे में माली बनने तक को तैयार हैं। ताकि बागवानी करते हुए उन्हें इसी बहाने सुबह-सुबह श्री कृष्ण के दर्शन हो जाएंगे। वह श्री कृष्ण के सुंदर मनोहारी रूप के दर्शन करने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं।

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