चिले के राष्ट्रपति की सरकार का तख्तापलट कब किया गया था
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सल्वाडोर अलांदे दुनिया के पहले मार्क्सवादी राष्ट्राध्यक्ष थे. वे बदलाव लाना चाहते थे लेकिन कई लोगों को ये पसंद न था. तस्वीरों में देखिए चिली के विद्रोह की कहानी.11 सितंबर 1973 को चिली के राष्ट्रपति सल्वाडोर अलांदे की मृत्यु एक सैन्य तख्तापलट अभियान के दौरान हो गई थी. वे दुनिया के पहले लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मार्क्सवादी राष्ट्राध्यक्ष थे. 1970 में सत्ता संभालने के बाद उन्होंने चिली में कई आर्थिक सुधार किए. उनके सुधार कार्यक्रम में खनन उद्योग का राष्ट्रीयकरण भी शामिल था. राष्ट्रपति अलांदे का ये कदम विपक्ष और अमरीका की तत्कालीन सरकार को नागवार गुजरा था.सल्वाडोर अलांदे ने जो सुधार किए उनसे महँगाई बढ़ी और खाद्यान्न की कमी हो गई. इसके बाद लगातार हुई हड़तालों ने देश की अर्थव्यवस्था को चरमरा दिया. सैन्य विद्रोह से पहले राजधानी में तनाव की स्थिति पैदा हो गई.
अगस्त 1973 में सल्वाडोर अलांदे तख्तापलट की कोशिशों को रोकने के लिए सेना के कुछ वरिष्ठ अफसरों को सरकार में लेकर आए. ठीक इसी वक्त जनरल अगस्तो पिनोचे को सेना के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया.
11 सितम्बर 1973 के दिन चिली में सैन्य तख्तापलट के दौरान राष्ट्रपति भवन के बाहर पूर्व समाजवादी राष्ट्रपति सल्वाडोर के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़.
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चिली की दोनों प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति के इस्तीफे की माँग की. हालांकि अलांदे ने अपने समर्थकों से पक्ष में आने की अपील की लेकिन ये विरोध बहुत कम संगठित था.
11 सितम्बर 1973 को चिली में सैन्य तख्तापलट के दौरान राष्ट्रपति भवन पर हुए हमलों में सल्वाडोर अलइयेंदे की मृत्यु हो गई. तस्वीर में चिली की सेना के जवान राष्ट्रपति भवन पर निशाना साधे हुए. इस सैन्य तख्तापलट में जनरल अगस्तो पिनोचे की अगुवाई में सेना ने चुनी हुई संविधानिक सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था.
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इस्तीफे की शुरुआती माँगों को राष्ट्रपति की ओर से खारिज कर दिए जाने के बाद वायुसेना के जहाजों ने राष्ट्रपति भवन पर रॉकेट और बमों से हमला किया. हमले में टैंक भी इस्तेमाल में लाए गए थे. सेना के सूत्रों के मुताबिक अलांदे ने इस्तीफा देने के इरादे से पाँच मिनट के संघर्ष विराम के लिए कहा था लेकिन इस पर सेना ने कहा कि यह नामुमकिन है क्योंकि राष्ट्रपति के वफादार निशानेबाज राष्ट्रपति भवन के पास की इमारतों से सक्रिय थे.
11 सितंबर 1973 को सैन्य तख्तापलट के दौरान चिली के राष्ट्रपति भवन ला मोनेडा का हिस्सा आग के लपेटे में.
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राष्ट्रपति भवन पर किए गए हमले के दौरान कम से कम 17 बम गिराए गए थे. आधिकारिक ब्यौरों के मुताबिक सल्वाडोर ने राष्ट्रपति भवन पर सैनिकों के धावा बोलते ही खुद को गोली मार ली थी.
चार अक्टूबर 1973 को चिली में सैन्य तख्तापलट के बाद राजधानी सैंटियागो की सड़कों पर सेना की टुकड़ी गश्त लगाते हुए.पूरे देश में सैनिक शासन की घोषणा कर दी गई, कर्फ्यू लगा दिया गया और बंदूक लेकर चलने पर पाबंदी लगा दी गई.
सैन्य तख्तापलट के बाद चिली की सैनिक सरकार के मुखिया जनरल अगस्तो पिनोचे.
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चिली के सेना प्रमुख जनरल अगस्तो पिनोचे ने खुद को देश का नया राष्ट्रपति घोषित कर दिया. उनकी कैबिनेट में ज्यादातर सेना के लोग लिए गए थे.
चिली के सैनिक राजधानी सैंटियागो की सड़कों पर गश्त करते हुए.ख़बरों के मुताबिक हज़ारों लोग मारे गए लेकिन सैनिक सरकार का कहना था कि सीआईए समर्थित विद्रोह में 100 से भी कम लोग मारे गए थे.
विद्रोह के बाद चिली में राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा करते हुए सैनिक.
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जनरल पिनोचे ने 17 साल तक शासन किया. उनके कार्यकाल में 3 हज़ार से ज्यादा राजनीतिक विरोधी मारे गए या सेना के द्वारा "गायब" कर दिए गए.