History, asked by Mohammed1754, 11 months ago

चोलों के सैन्य संगठन के बारे में लिखिए।

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Answered by Anonymous
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Explanation:

चोल राजाओं ने एक विशाल संगठित सेना का निर्माण किया था । उनके कुल सैनिकों की संख्या एक लाख पचास हजार के लगभग थी । उसके पास अश्व, गज एवं पैदल सैनिकों के साथ ही साथ एक अत्यन्त शक्तिशाली नौसेना भी थी । इसी नौसेना के सहायता से उन्होंने श्रीविजय, सिंहल, मालदीव आदि द्वीपों की विजय की थी ।

नौ विद्या संबंधी लेखों या पुस्तकों में चोल नाविकों द्वारा प्रकट किये गये विचारों को 15-16वीं शती के उनके अरब उत्तराधिकारी मान्य प्रमाण के रूप में उद्‌धृत करते थे । चोल शासक स्वयं कुशल योद्धा थे और वे अधिकतर व्यक्तिगत रूप से युद्धों में भाग लिया करते थे । सेना के कई दल थे ।

लेखों में बडपेर्र (पदाति सैनिक), बिल्लिगल (धर्नुधारी सैनिक), कुदिरैच्चेवगर (अश्वारोही सैनिक), आनैयाटककलकुंजिरमल्लर (गजसेना) आदि का उल्लेख मिलता है । कुछ सैन्यदल नागरिक कार्यों में भी भाग लेते थे तथा मन्दिरों आदि को दान दिया करते थे ।

कुछ सैनिक सम्राट की सेवा में निरन्तर उपस्थित रहते थे तथा उसकी रक्षा के लिये अपने प्राण तक न्योछावर कर सकते थे । ऐसे सैनिकों को ‘वेलैक्कारर’ कहा गया है । सैनिक सेवाओं के बदले में राजस्व का एक भाग अथवा भूमि देने की प्रथा थी । चोल सैनिक अत्यधिक अनुशासित एवं प्रशिक्षित होते थे ।

चोल सैनिक क्रूर तथा निर्दयी भी होते थे । विजय पाने के बाद शत्रुओं की वे हत्या कर देते थे । यहाँ तक कि स्त्रियों तथा बच्चों को भी नहीं छोड़ा जाता था । शत्रुनगरों को भी वे ध्वस्त कर देते थे । पाण्ड्य तथा पश्चिमी चालुक्य राज्यों में उनका व्यवहार इसी प्रकार का रहा ।

इस प्रकार चोल शासन-व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के पश्चात् यह स्पष्ट हो जाता है कि प्राचीन युग की यह एक उत्कृष्ट शासन-प्रणाली थी जिसमें केन्द्रीय नियन्त्रण तथा स्थानीय स्वायत्तता साथ-साथ वर्तमान रही ।

चोलों की शासन-व्यवस्था का मूल्यांकन करते हुये इतिहासकार नीलकण्ठ शास्त्री लिखते हैं- ‘एक योग्य नौकरशाही तथा सक्रिय स्थानीय संस्थाओं के बीच, जो विविध प्रकार से नागरिकता की भावना का पोषण करती थीं, शासन-निपुणता तथा शुद्धता का एक उच्च स्तर प्राप्त कर लिया गया था, जो सम्भवतः किसी हिन्दू राज्य द्वारा प्राप्त सर्वोच्च स्तर था ।’

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