चेलबांजी किसे कहते हैं
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➲ चेलवांजी से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से होता है, जो मरुस्थलीय क्षेत्रों में कुईं खोदने का कार्य करता है। मरुस्थलीय क्षेत्रों में कोई खोजना आसान कार्य नहीं होता यह एक विशिष्ट दक्षता वाला कार्य है और इसे खोजने में निपुण व्यक्ति ही यह कार्य कर सकता है।
व्याख्या ⦂
✎... कुईं खोदने की प्रक्रिया एक कठिन प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में एक छोटे से व्यास में तीस से साठ हाथ तक खुदाई की जाती है और खुदाई के साथ-साथ तुरंत ही चिनाई करनी पड़ती है। खुदाई के समय जमीन में नमी और हवा अभाव होता है। जिस कारण दम घुटने जैसा वातावरण बन जाता है। चिनाई के लिए जिन ईंट-पत्थरों की आवश्यकता होती है, वह रस्सी के साथ पीछे गिराए जाते हैं। इससे सिर को चोट ना लगे इससे बचने के लिए सिर पर पीतल या तांबे का टोप पहना जाता है। यह सारी प्रक्रियाएं कठिन हैं और कोई विशेष रूप से विशिष्ट रूप से दक्ष व्यक्ति ही यह कठिन कार्य कर पाता है। इसीलिए कुईं खोदने वाले ऐसे व्यक्तियों को चेलबांजी या चेजारो कहते हैं।
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